Edited By Pardeep,Updated: 08 Oct, 2019 04:56 AM
देर से ही सही लेकिन अब मोदी प्रशासन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ताकत बढऩे लगी है। राजनाथ को राजनीतिक रूप से एक तरह से झटका लगा था जब मोदी के पसंदीदा अमित शाह के लिए जगह खाली करने के लिए उन्हें गृह मंत्रालय से रक्षा मंत्रालय में भेज दिया गया था।...
नेशनल डेस्कः देर से ही सही लेकिन अब मोदी प्रशासन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ताकत बढऩे लगी है। राजनाथ को राजनीतिक रूप से एक तरह से झटका लगा था जब मोदी के पसंदीदा अमित शाह के लिए जगह खाली करने के लिए उन्हें गृह मंत्रालय से रक्षा मंत्रालय में भेज दिया गया था।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वह असहज स्थिति में रहे क्योंकि मोदी तत्कालीन वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेतली, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी पर ज्यादा भरोसा करते थे। लेकिन अब वक्त बदल गया है। इसका पहला संकेत 2 अक्तूबर को मिला जब प्रधानमंत्री मोदी महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि देने के लिए संसद के सैंट्रल हॉल में आए। इसके थोड़ी देर बाद वह राजनाथ को संसद में अपने चैंबर में ले गए और 30 मिनट तक उनसे गुप्त बातचीत की।

2 अक्तूबर की मीटिंग के अगले ही दिन राजनाथ सिंह के सबसे विश्वसनीय सिपहसालार और पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को राज्यसभा के लिए नामांकित कर दिया गया। त्रिवेदी 6 साल से राज्यसभा के लिए नामांकित किए जाने के लिए इंतजार कर रहे थे जबकि उनके जूनियर ऊपरी सदन तक पहुंच चुके थे। जब सुधांशु त्रिवेदी को नामांकित किया गया उस समय भाजपा की यू.पी. इकाई लक्ष्मी कांत वाजपेयी और अमित शाह के समर्थक मनोज सिन्हा का नाम राज्यसभा सीट के लिए आगे बढ़ा रही थी। मनोज सिन्हा बहुत थोड़े अंतर से लोकसभा चुनाव हार गए थे, वहीं लक्ष्मी कांत वाजपेयी यू.पी. इकाई की अध्यक्ष थीं लेकिन मोदी से राजनाथ की 30 मिनट की मुलाकात ने त्रिवेदी के लिए राज्यसभा के दरवाजे खोल दिए।

सुधांशु त्रिवेदी के नामांकन ने राजनीतिक मामलों पर नजर रखने वालों को हैरान कर दिया। आखिरकार मोदी और अमित शाह त्रिवेदी पर मेहरबान हुए और 3 अक्तूबर की रात उन्हें फोन कर बताया गया कि पार्टी उन्हें यू.पी. से राज्यसभा में भेजेगी। लंबी बीमारी के चलते 24 अगस्त को अरुण जेतली के निधन के बाद यह राज्यसभा सीट खाली हो गई थी। सुधांशु त्रिवेदी 2022 तक राज्यसभा में रहेंगे। यह मोदी सरकार में राजनाथ सिंह का प्रभाव बढऩे का स्पष्ट संकेत है।
मनोहर पर्रिकर, अरुण जेतली तथा सुषमा स्वराज के निधन के चलते भाजपा में कम ही वरिष्ठ नेता बचे हैं इसलिए मोदी नियमित तौर पर राजनाथ से सलाह-मशविरा करते हैं। राजनाथ काफी शांत प्रवृत्ति के, कम बोलने वाले और परिपक्व नेता हैं। मोदी के मंत्रिमंडल में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी हैं लेकिन वह कभी-कभी दिल खोल कर अपनी बात कह देते हैं जिससे कई बार पार्टी के लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो जाती है। वहीं राजनाथ सिंह सार्वजनिक रूप से बहुत नपे-तुले शब्दों में बोलते हैं।