Edited By Seema Sharma,Updated: 29 Jul, 2018 01:56 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में प्रकृति का संरक्षक बनने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हम सबका दायित्व बनता है कि हम प्रकृति प्रेमी बनें, प्रकृति के रक्षक बनें, प्रकृति के संवर्धक बनें, जिससे प्रकृतिदत्त चीजों में संतुलन बनेगा।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विद्यार्थियों से नया कौशल सीखने तथा अंतर्मन को शांत एवं प्रसन्नचित्त रखने की आज सलाह दी। आकाशवाणी से प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि जुलाई का महीना किसानों के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए महत्वूपर्ण होता है और वे उच्च शिक्षा के लिए बाहर निकलते हैं। उन्होंने कहा कि जुलाई वह महीना है, जब युवा अपने जीवन के उस नए चरण में कदम रखते हैं जब उनका ध्यान निर्दिष्ट सवालों से हटकर कट-ऑफ पर चला जाता है। छात्रों का ध्यान होम से होस्टल पर चला जाता है। छात्र माता-पिता की छाया से प्रोफेसरों की छाया में आ जाते हैं। उन्होंने यकीन जताया कि युवा मित्र कॉलेज जीवन की शुरुआत को लेकर काफी उत्साही और खुश होंगे। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा समय होता है जब पहली बार घर से बाहर जाना, गांव से बाहर जाना, एक संरक्षित माहौल से बाहर निकलकर खुद को ही अपना सारथी बनाना होता है।
मन की बात के Highlights
- ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम के संदेश का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इनके संदेश न केवल जन सामान्य को शिक्षित करने का बल्कि अंधश्रद्धा के खिलाफ लड़ने का समाज को मंत्र देते हैं।
- ऐसे संतों ने समय-समय पर समाज को रोका, टोका और आईना भी दिखाया और यह सुनिश्चित किया कि कुप्रथाएं समाज से खत्म हों और लोगों में करुणा, समानता और शुचिता के संस्कार आएं। हमारी यह भारत-भूमि बहुरत्ना वसुंधरा है जहां समर्पित महापुरुषों ने, इस धरती को अपना जीवन आहुत कर दिया।
- हम 23 जुलाई को लोकमान्य तिलक जी की जयंती और 1 अगस्त, को उनकी पुण्यतिथि पर उनका पुण्य स्मरण करते हैं।’’
- लोकमान्य तिलक के प्रयासों से ही सार्वजनिक गणेश उत्सव की परंपरा शुरू हुई।
- सार्वजनिक गणेश उत्सव परम्परागत श्रद्धा और उत्सव के साथ-साथ समाज-जागरण, सामूहिकता, लोगों में समरसता और समानता के भाव को आगे बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम बन गया था।
- उस कालखंड में जब अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए एकजुट होने की जरूरत थी, तब इन उत्सवों ने जाति और सम्प्रदाय की बाधाओं को तोड़ते हुए सभी को एकजुट करने का काम किया।
- 1916 में लोकमान्य तिलक की अहमदाबाद यात्रा और उनके निधन के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा अहमदाबाद में उनकी एक प्रतिमा लगाने की घटना का जिक्र किया । 1929 में इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था।
- कालेज जाने वाले युवाओं से कहा कि उन्हें अध्ययन करने के साथ नई-नई चीजें खोजने, नई भाषाएं एवं कौशल सीखने तथा संस्कृति एवं पर्यटन स्थलों के बारे में जानना चाहिए।
- पुराने दोस्तों का अपना महामूल्य है। बचपन के दोस्त मूल्यवान होते हैं, लेकिन नए दोस्त चुनना, बनाना और बनाए रखना, यह अपने आप में एक बहुत बड़ी समझदारी का काम होता है।
- स्वतंत्रता आंदोलन के महान सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के मशहूर नारे ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का उल्लेख करते हुए कहा कि अब नए भारत के संदर्भ में सुशासन पर जोर देने और ‘सुराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’ कहने का उचित वक्त आ गया है।
- प्रत्येक भारतीय को सुशासन और विकास का सकारात्मक लाभ हासिल करने का अधिकार है।
- चंद्रशेखर आजाद की बहादुरी और स्वतंत्रता के प्रति उनके जुनून ने कई युवाओं को प्रेरित किया।
- आजाद ने अपने जीवन को दांव पर लगा दिया, लेकिन विदेशी शासन के सामने वे कभी नहीं झुके। यह मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे मध्य प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद के गांव अलीराजपुर जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इलाहाबाद के चंद्रशेखर आजाद पार्क में भी श्रद्धासुमन अर्पित करने का अवसर मिला।
- आजाद वह वीर पुरुष थे जो विदेशियों की गोलियों से भी मरना नहीं चाहते थे।
- ‘जिएंगे तो आजादी के लिए लड़ते-लड़ते और मरेंगे तो भी आजाद बने रहकर मरेंगे,’यही तो उनकी विशेषता थी।
- आज देश के युवा नए भारत के निर्माण में अपनी हिस्सेदारी निभा रहे हैं। विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में गरीब, दलित, वंचित, कमजोर तबके और दबे-कुचले परिवारों के बच्चों की सफलताओं का भी जिक्र किया और उन्हें बधाई भी दी।
- गत 19 जुलाई को दुनिया को अलविदा कह चुके महान कवि गोपाल दास नीरज को भी श्रद्धांजलि दी और कहा कि भारतवासियों को उनकी रचनाओं से बहुत कुछ सीख लेनी चाहिए।