दिल्ली दंगा मामले में पुलिस को फटकार, कहा- काेर्ट की आंखों पर पट्टी बांधने की हुई कोशिश

Edited By vasudha,Updated: 03 Sep, 2021 11:47 AM

police reprimanded in delhi riots case

दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि जब इतिहास विभाजन के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में सबसे भीषण सांप्रदायिक दंगों को देखेगा, तो उचित जांच करने...

नेशनल डेस्क: दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि जब इतिहास विभाजन के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में सबसे भीषण सांप्रदायिक दंगों को देखेगा, तो उचित जांच करने में पुलिस की विफलता लोकतंत्र के प्रहरी को 'पीड़ा' देगी। कोर्ट ने साथ यह भी कहा कि जांच एजेंसी ने केवल अदालत की आंखों पर पट्टी बांधने की कोशिश की है और कुछ नहीं।


अदालत ने आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम और दो अन्य को फरवरी 2020 में दिल्ली के चांद बाग इलाके में दंगों के दौरान एक दुकान में कथित लूटपाट और तोड़फोड़ से संबंधित मामले में आरोपमुक्त कर दिया। अदालत ने जांच को “कठोर एवं निष्क्रिय” करार दिया जिसमें ऐसा प्रतीत होता है कि एक कांस्टेबल को गवाह के रूप में पेश किया गया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि घटना का कोई ऐसा सीसीटीवी फुटेज नहीं था, जिससे आरोपी की घटनास्थल पर मौजूदगी की पुष्टि हो सके, कोई स्वतंत्र चश्मदीद गवाह नहीं था और आपराधिक साजिश के बारे में कोई सबूत नहीं था।

न्यायाधीश ने कहा, ' मैं खुद को यह देखने से रोक नहीं पा रहा हूं कि जब इतिहास दिल्ली में विभाजन के बाद के सबसे भीषण सांप्रदायिक दंगों को पलटकर देखेगा, तो नवीनतम वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके उचित जांच करने में जांच एजेंसी की विफलता निश्चित रूप से लोकतंत्र के प्रहरी को पीड़ा देगी।' उन्होंने कहा कि इस मामले में ऐसा लगता है कि चश्मदीद गवाहों, वास्तविक आरोपियों और तकनीकी सबूतों का पता लगाने का प्रयास किए बिना ही केवल आरोपपत्र दाखिल करने से ही मामला सुलझा लिया गया।


कोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक इस मामले की जांच करने के बाद पुलिस ने इस मामले में केवल पांच गवाह दिखाए हैं, जिनमें एक पीड़ित है, दूसरा कांस्टेबल ज्ञान सिंह, एक ड्यूटी अधिकारी, एक औपचारिक गवाह और आईओ। जो सुबूत कोर्ट के सामने रखे गए हैं वो पर्याप्त नहीं हैं। कोर्ट ने कहा है इस मामले की जांच में दिल्ली पुलिस ने कर दाताओं का पैसा खराब किया है। 

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