राहुल की एक गलती और 41 साल बाद कांग्रेस के हाथ से फिसल गया उपसभापति का पद

Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Aug, 2018 02:41 PM

rahul gandhi did not call kejriwal to support in

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति चुन लिए गए हैं। उनके पक्ष में 125 मत पड़े जबकि विरोध में 105 सदस्यों ने मतदान किया। हरिवंश के खिलाफ ने विपक्ष ने कांग्रेस के बी.के. हरिप्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया था।

नई दिल्लीः राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति चुन लिए गए हैं। उनके पक्ष में 125 मत पड़े जबकि विरोध में 105 सदस्यों ने मतदान किया। हरिवंश के खिलाफ ने विपक्ष ने कांग्रेस के बी.के. हरिप्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया था। विपक्ष के कुछ सदस्य मतदान के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे। आम आदमी पार्टी कांग्रेस को समर्थन देना चाहती थी लेकिन राहुल गांधी ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

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राहुल ने केजरीवाल को नहीं दी झप्पी
आप ने बुधवार को ऐलान किया था कि वह एनडीए को समर्थन नहीं करेगा। आप की तरफ से संजय सिंह ने कहा था कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व्यक्तिगत रूप से अरविंद केजरीवाल को फोन करें तो हम उनके उम्मीदवार हरिप्रसाद को समर्थन करेंगे और उनके पक्ष में वोटिंग करेंगे। लेकिन राहुल की झप्पी पाने की केजरीवाल की तपन्ना पूरी नहीं हो पाई। राहुल ने केजरीवाल से समर्थन नहीं मांगा। हालांकि जेडीयू चीफ और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने केजरीवाल को फोन किया और एनडीए उम्मीदवार के लिए समर्थन मांगा। केजरीवाल ने यह कहकर समर्थन देने से इंकार कर दिया कि हरिवंश को भाजपा का समर्थन है। वहीं सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल ने नीतीश के कहने पर ही सदन से वॉकऑउट किया।

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41 साल बाद कांग्रेस के हाथ से फिसला यह पद
आमतौर पर राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव आम सहमति से हो जाता है लेकिन इस बार न तो कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या थी और न भाजपा के पास, इसलिए चुनाव करवाने पड़े। 1969 में पहली बार राज्यसभा उपसभापति के लिए चुनाव हुए थे। वहीं 26 साल बाद इस पद के लिए चुनाव हुआ। इससे पहले 1992 में आखिरी बार चुनाव हुए थे। अब तक इस पद के लिए कुल 19 बार चुनाव हुए हैं जबकि 14 बार तो आम सहमति के ही उपसभापति चुना गया। 1977 से अब तक कांग्रेस सदस्य ही उपसभापति पद पर चुना गया। करीब 41 साल बाद यह पहला मौका है, जब कांग्रेस के अलावा किसी अन्य पार्टी का सदस्य इस बार चुना गया है। 

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नजमा इस पद पर रहीं सबसे अधिक समय तक
नजमा हेपतुल्ला इस पद पर सबसे अधिक समय तक रहीं। वे करीब 16 साल तक इस पद पर रहीं। कांग्रेस सदस्य के तौर पर वे सबसे पहली बार 1985 से 1986 तक इस पद पर रहीं और दूसरी बार वह 1988 में फिर से उपसभापति चुनी गईं और 2004 तक इस पद पर रहीं। फिलहाल हेपतुल्ला अब भाजपा नेता हैं।

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भाजपा को अब तक नहीं मिला यह पद
भाजपा के किसी सदस्य को अब तक यह पद नहीं मिला है। सत्ता में होने के बाद भी राज्यसभा में भाजपा के पास पर्याप्त संख्या नहीं थी इसलिए इस बार भी वह अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं कर पाई। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी कार्यकाल में भी यह पद कांग्रेस के पास ही था।

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