Ratan Tata Will: रसोइया-ड्राइवर बने करोड़पति, कुत्‍ते टीटो को मिले 12 लाख, खुद के अंतिम संस्कार के लिए रखे मात्र ₹2500

Edited By Anu Malhotra,Updated: 02 Apr, 2025 08:18 AM

ratan tata will kept only 2500 for his own funeral

रतन टाटा का नाम सुनते ही भव्यता, सफलता और उदारता मन में उभरता है, लेकिन उनकी वसीयत ने एक और पहलू उजागर किया- जिसमें सादगी और मानवीय मूल्यों की मिसाल पेश की गई। जहां अधिकतर बिजनेसमैन अपनी संपत्ति अपने परिवार के विस्तार में लगे रहते है, वहीं टाटा ने...

नेशनल डेस्क: रतन टाटा का नाम सुनते ही भव्यता, सफलता और उदारता मन में उभरता है, लेकिन उनकी वसीयत ने एक और पहलू उजागर किया- जिसमें सादगी और मानवीय मूल्यों की मिसाल पेश की गई। जहां अधिकतर बिजनेसमैन अपनी संपत्ति अपने परिवार के विस्तार में लगे रहते है, वहीं टाटा ने अपने कर्मचारियों, सहयोगियों और यहां तक कि अपने पालतू कुत्ते तक के लिए बड़ी धनराशि छोड़ी। लेकिन हैरान करने वाली बात यह रही कि उन्होंने अपने अंतिम संस्कार के लिए केवल ₹2500 रखे।

कर्मचारियों और सहयोगियों के लिए उदारता

रतन टाटा की वसीयत उनके निस्वार्थ प्रेम और कर्मचारियों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने अपने घरेलू सहायकों, ऑफिस स्टाफ और पुराने सहयोगियों के लिए करोड़ों रुपये छोड़े। किसी के कर्ज माफ किए, तो किसी को आर्थिक रूप से सुरक्षित किया। लंबे समय से सेवा दे रहे कर्मचारियों को ₹15 लाख, जबकि अंशकालिक कर्मचारियों को ₹1 लाख की आर्थिक सहायता दी गई।

पालतू कुत्ते का भी रखा ख्याल

टाटा की दरियादिली सिर्फ इंसानों तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने अपने पालतू कुत्ते ‘टीटो’ के लिए ₹12 लाख की राशि निर्धारित की, ताकि उसकी देखभाल में कोई कमी न हो।

रसोइया और ड्राइवर भी बने करोड़पति

रतन टाटा के प्रति कर्मचारियों की निष्ठा का बदला उन्होंने दिल खोलकर दिया। उनके रसोइए रंजन शॉ को ₹1 करोड़ मिले, जिसमें से ₹51 लाख का कर्ज माफ किया गया। बटलर सुब्बैया कोनार को ₹66 लाख की सौगात दी गई, जिसमें से ₹36 लाख का कर्ज माफ हुआ। उनकी सचिव डेलनाज़ गिल्डर को भी ₹10 लाख मिले।

शिक्षा और पड़ोसियों को भी मिला लाभ

टाटा ने अपने युवा कार्यकारी सहायक शांतनु नायडू के लिए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में एमबीए के लिए लिया गया ₹1 करोड़ का लोन माफ कर दिया। इसके अलावा, उनके पड़ोसी जेक मालेते का ₹23.7 लाख का कर्ज भी माफ किया गया।

परिवार को भी नहीं भूले

हालांकि टाटा का ध्यान अधिकतर अपने कर्मचारियों और जरूरतमंदों पर था, लेकिन उन्होंने अपने परिवार को भी नजरअंदाज नहीं किया। उनके भाई जिमी टाटा को मुंबई के जुहू स्थित ₹16 करोड़ की संपत्ति मिली, जबकि उनकी सौतेली बहनों को उनकी कुल संपत्ति का एक-तिहाई हिस्सा दिया गया। बैंक में जमा ₹385 करोड़ की राशि भी परिवार के बीच बांटी गई।

दोस्त और ट्रस्ट भी वसीयत का हिस्सा

टाटा के करीबी दोस्त मेहली मिस्त्री को अलीबाग स्थित ₹6.2 करोड़ की संपत्ति और उनकी कुछ बंदूकें मिलीं। टाटा समूह में उनकी 70% हिस्सेदारी रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को और 30% हिस्सेदारी रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट (RTET) को दी गई।

एक सादगी भरी विदाई

रतन टाटा ने अपनी पूरी जिंदगी सादगी और इंसानियत को प्राथमिकता दी, और उनकी वसीयत भी इसी का प्रमाण है। जहां उन्होंने दूसरों के लिए दिल खोलकर दान किया, वहीं अपने अंतिम संस्कार के लिए मात्र ₹2500 रखे। यह बताता है कि उनके लिए भौतिक संपत्ति से अधिक लोगों की भलाई मायने रखती थी।

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