सहकारी सभाओं के पुर्नोद्धार के लिए रोडमैप तैयार

Edited By Updated: 01 Aug, 2025 09:42 PM

roadmap prepared for revival of cooperative societies

सहकारी सभाओं के पुर्नोद्धार के लिए रोडमैप तैयार


चंडीगढ़, 1 अगस्तः (अर्चना सेठी)सहकारी सभाएं, पंजाब के रजिस्ट्रार श्री गिरिश दयालन, आईएएस की अध्यक्षता में आज सहकारिता विभाग की राज्य-स्तरीय समीक्षा मीटिंग बुलाई गई। मीटिंग में मुख्य ऑडिटर सहकारी सभाएं, ज्वाइंट रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार और राज्य भर के सीनियर अधिकारियों ने शिरकत की। इस मौके पर रजिस्ट्रार ने क्षेत्रीय स्तर के नतीजे हासिल करने के लिए समय- बद्ध, लक्षित कारगुज़ारी और व्यक्तिगत जवाबदेही की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। मीटिंग के दौरान यह भी ऐलान किया गया कि अब से हर महीने की पहली तारीख को अनिवार्य रूप से ऐसी समीक्षा मीटिंगें करवाई जाएंगी।

मीटिंग के दौरान की गई बड़ी पहलकदमी फील्ड अफसरों की तरफ से घाटे में जाने वाली या बुरी कारगुज़ारी वाली सहकारी सभाओं को गोद लेना था। इस नये ढांचे के अंतर्गत, सभी इंस्पेक्टरों को उनके तैनाती स्थान के नज़दीक एक सोसायटी सौंपी जायेगी जिससे वह बिना सचिव वाली 800 सोसायटियों को गोद ले सकें और उनका समर्थन कर सकें। इसके इलावा, हरेक ज्वाइंट रजिस्ट्रार की तरफ से कम से कम एक सोसायटी गोद ली जायेगी जबकि डिप्टी रजिस्ट्रार की तरफ से दो और सहायक रजिस्ट्रार की तरफ से तीन सोसायटियों को गोद लिया जायेगा। अधिकारियों से उम्मीद की जायेगी कि वह अपनी गोद ली गई सोसायटियों की देख-रेख करेंगे, सहयोग देंगे और कारगुज़ारी की निगरानी को यकीनी बनाऐंगे। इस कदम का मकसद सीधी ज़िम्मेदारी स्थापित करना और ज़मीनी स्तर पर सुचारू सुधार यकीनी बनाना है।

पीएसीएस कम्प्यूटरीकरण की स्थिति की समीक्षा करते हुये रजिस्ट्रार ने रोज़मर्रा की निगरानी के ज़रिये प्रोजैक्ट में तेज़ी लाने के निर्देश जारी किये। उन्होंने बताया कि पाँच अतिरिक्त रजिस्ट्रारों को ज़िलेवार निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है, जबकि अतिरिक्त रजिस्ट्रार (हैडक्वाटर) तालमेल की निगरानी करेंगे और साप्ताहिक प्रगति रिपोर्टें पेश करेंगे। ज़िला-स्तरीय नोडल अफसरों की नियुक्ति लाज़िमी की गई है, और कम्प्यूटरीकरण प्रक्रिया में किसी भी विरोध या रुकावट के विरुद्ध सख़्त अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। रजिस्ट्रार ने कहा कि पारदर्शिता, कुशलता और वित्तीय अनुशासन को यकीनी बनाने के लिए सहकारी सभाओं का मुकम्मल डिजिटल परिवर्तन बेहद ज़रूरी है।

मीटिंग में ऑडिट सम्बन्धी जवाबदेही को और मज़बूत करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। सभी फील्ड अधिकारियों को निर्धारित समय-सीमाओं के अंदर आडिट निरीक्षण की 100 प्रतिशत पालना को यकीनी बनाने के निर्देश दिए गए हैं। यह स्पष्ट तौर पर कहा गया कि आडिट संबंधी त्रुटियों को जायज़ ठहराने के लिए पोस्ट-फैकटो ‘विशेष रिपोर्टें’ अब स्वीकार नहीं की जाएंगी। जिन अधिकारियों ने पहले जिन मामलों में त्रुटि रहित रिपोर्टें जारी की थीं और बाद में जहाँ धोखाधड़ी होने का पता लगा था, उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।

मीटिंग के दौरान बताया गया कि अर्ध-न्यायिक कार्यवाहियों और अदालती मामलों के लिए एक व्यापक समीक्षा तंत्र भी बनाया गया था। यह निर्देश दिया गया था कि आर्डर की सभी प्रमाणित कापियां घोषणा के सात दिनों के अंदर जारी की जानी चाहिएं और लम्बित मामलों की साप्ताहिक समीक्षा डिप्टी रजिस्ट्रारों द्वारा की जानी चाहिए। धोखाधड़ी के इरादे या अधिकार क्षेत्र में दखलअन्दाज़ी से पास किये गए हरेक आर्डर की प्रशासनिक स्तर पर जांच की जायेगी, और उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।

रजिस्ट्रार ने पीएसीएस में स्टाफ की कमी के मुद्दे को भी उजागर किया और सचिव के पदों को तर्कसंगत बनाने के निर्देश दिए, जिसमें स्पष्ट साप्ताहिक समय-सारणी और आने-जाने के खर्चों की अदायगी के लिए प्रस्तावित सहायता शामिल हो। खाद इंडेंट भी पीएसीएस मैंबरशिप और ज़मीनी होलडिंग पर असली-समय के डेटा के आधार पर किये जाने हैं, जिसमें निष्पक्ष वितरण को यकीनी बनाने के लिए बंद पड़ीं सोसायटियों को औपचारिक तौर पर कार्यशील सोसायटियों के साथ जोड़ा जाना है। सभी डीआरज़ को एक हफ़्ते के अंदर पूरा ज़िला- स्तरीय डेटा जमा कराने का काम सौंपा गया है।

व्यापक प्रशासनिक सुधारों के हिस्से के तौर पर रजिस्ट्रार ने समूचे पत्र व्यवहार के लिए ईआफिस और अधिकारित punjab.gov.in ईमेल खातों के अनिवार्य प्रयोग पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि कागज़ी दस्तावेज़ भेजने की रिवायत को घटाया जाये। सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के अधीन आती सहकारी सभाओं के साथ मासिक मीटिंगें करें और उचित ढंग से दर्ज की कार्यवाहियों को हैडक्वाटर जमा करवाएं।

अंतरराष्ट्रीय सहकारी साल के मद्देनज़र रजिस्ट्रार ने सभी अधिकारियों की तरफ से सक्रिय और क्षेत्र-आधारित सम्मिलन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जिससे यह यकीनी बनाया जा सके कि न केवल सहकारी सभाओं का अस्तित्व बरकरार रहे बल्कि इनका विस्तार हो सके और यह ग्रामीण विकास एवं अर्थव्यवस्था में अहम योगदान डालें।

 

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