Edited By Tanuja,Updated: 22 Dec, 2025 04:18 PM

बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। खुलना में नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के छात्र नेता मोहम्मद मोतालेब सिकदर को गोली मार दी गई, हालत गंभीर है। यह घटना शरीफ उस्मान हादी की हत्या के कुछ दिनों बाद हुई है।
International Desk: बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा का सिलसिला लगातार गहराता जा रहा है। खुलना में छात्र नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के एक वरिष्ठ नेता को सोमवार को अज्ञात बदमाशों ने गोली मार दी। घायल नेता की हालत गंभीर बनी हुई है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घायल नेता की पहचान 42 वर्षीय मोहम्मद मोतालेब सिकदर के रूप में हुई है। वह NCP के खुलना डिवीजनल प्रमुख और पार्टी की श्रमिक इकाई NCP श्रमिक शक्ति के केंद्रीय आयोजक थे।यह हमला सुबह करीब 11:45 बजे खुलना शहर के सोनाडांगा इलाके में गाजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास एक घर में हुआ। गोली लगने के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने मोतालेब को पहले खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया, जहां से उन्हें सीटी स्कैन के लिए सिटी डायग्नोस्टिक सेंटर ले जाया गया। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी हालत अब भी बेहद गंभीर है।
— SK Chakraborty (@sanjoychakra) December 22, 2025
NCP के खुलना महानगर आयोजक सैफ नवाज ने प्रमुख बांग्लादेशी अखबार प्रथम आलो को बताया कि पार्टी खुलना में एक डिवीजनल श्रमिक रैली आयोजित करने वाली थी और मोतालेब इसकी तैयारियों की निगरानी कर रहे थे।पुलिस ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की जांच जारी है। सोनाडांगा मॉडल थाना के जांच अधिकारी एमडी रफीकुल इस्लाम ने स्थानीय मीडिया को बताया कि गोली मोतालेब के कान के एक हिस्से से घुसी और दूसरे हिस्से से बाहर निकल गई, जिससे उनकी हालत बेहद नाजुक हो गई। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब बांग्लादेश पहले से ही राजनीतिक हिंसा के दौर से गुजर रहा है।
इससे कुछ दिन पहले, 12 दिसंबर को कट्टरपंथी इस्लामी नेता और ढाका-8 संसदीय सीट से उम्मीदवार शरीफ उस्मान हादी को ढाका के पल्टन इलाके में गोली मार दी गई थी।हादी को पहले ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर हालत बिगड़ने पर एवरकेयर अस्पताल और बाद में बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया। इलाज के दौरान सिंगापुर जनरल अस्पताल में उनकी मौत हो गई। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर बांग्लादेश लाया गया। लगातार हो रही इन गोलीबारी की घटनाओं ने बांग्लादेश की कानून-व्यवस्था और चुनावी सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।