अकेले मोहम्मद यूनुस नहीं, ये 5 नामी शख्स भी बढ़ा रहे बांग्लादेश में कट्टरपंथी

Edited By Updated: 22 Dec, 2025 02:05 PM

its not just muhammad yunus these 5 leaders also fueling extremism in bangladesh

बांग्लादेश में 2024 की छात्र क्रांति के बाद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर कट्टरपंथ और हिन्दू विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यूनुस अकेले नहीं हैं, बल्कि पांच अन्य प्रमुख नेता—मोहम्मद नाहिद इस्लाम, हसनत...

इंटरनेशनल डेस्क : बांग्लादेश में 2024 की कथित छात्र क्रांति के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार को हिंदुओं पर हमलों और कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। शेख हसीना की विदाई के बाद बने राजनीतिक माहौल में कट्टरपंथी नेताओं को बढ़ने का भरपूर मौका मिला। विशेषज्ञों का कहना है कि यूनुस अकेले नहीं, बल्कि कई अन्य नेता भी इस्लामी कट्टरवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।

5 प्रमुख कट्टर नेताओं और उनके कृत्य

1. मोहम्मद नाहिद इस्लाम

27 वर्षीय नाहिद इस्लाम 2024 के छात्र आंदोलन 'स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' का मुख्य समन्वयक था। शेख हसीना की सरकार गिराने में उसकी अहम भूमिका रही। अंतरिम सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय संभालने के बाद उसने नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) की स्थापना की। आलोचक मानते हैं कि नाहिद का यह संगठन जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी समूहों से नजदीक है। नाहिद ने भारत विरोधी रुख अपनाया और अपनी युवा अपील के जरिए कट्टरपंथी विचार छात्रों तक पहुंचा रहे हैं।

2. हसनत अब्दुल्लाह

हसनत इस छात्र आंदोलन के प्रमुख समन्वयकों में से एक थे। उन्होंने एनसीपी के गठन में मुख्य भूमिका निभाई और दक्षिणी क्षेत्र के आयोजक बने। हसनत लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं। दिसंबर 2025 में ढाका में उन्होंने कहा कि यदि भारत बांग्लादेश को अस्थिर करने की कोशिश करता है या हसीना समर्थकों को शरण देता है, तो उत्तर-पूर्वी राज्यों के अलगाववादियों को समर्थन दिया जाएगा।

3. आसिफ महमूद

आसिफ महमूद भी छात्र आंदोलन से जुड़ा रहा और अंतरिम सरकार में युवा एवं खेल मंत्रालय संभाला। उन पर कट्टरपंथी छात्र संगठनों को संरक्षण देने का आरोप है। वे इस्लामी छात्र शिबिर जैसे समूहों को बढ़ावा दे रहे हैं और भारत विरोधी भावनाओं को हवा दे रहे हैं।

4. शफीकुर्रहमान

बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर शफीकुर्रहमान कट्टरपंथी विचारधारा का मुखर प्रतिनिधि हैं। हसीना सरकार के पतन के बाद जमात सक्रिय हुई और धर्म आधारित राजनीति पर जोर देने लगी। शफीकुर्रहमान अल्पसंख्यकों में भय पैदा कर रहे हैं और खुले तौर पर हिन्दुओं के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं।

5. ममुनुल हक

हिफाजत-ए-इस्लाम के महासचिव ममुनुल हक कट्टरपंथ और एंटी इंडिया एजेंडे के सबसे विवादास्पद चेहरा हैं। 2021 में पीएम मोदी के दौरे के दौरान उन्होंने हिंसक प्रदर्शन किए। 2024 में जेल से रिहा होने के बाद हक ने यूनुस से मुलाकात की और महिला सुधार तथा अल्पसंख्यकों पर कट्टर विरोधी रुख अपनाया। उन्होंने "भारत को हिंदुत्व शासन से आज़ाद कराने" वाले आंदोलनों की खुले तौर पर पैरवी की।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञ मानते हैं कि बांग्लादेश में शीर्ष नेतृत्व से कट्टरता को बढ़ावा मिलने के कारण निचले स्तर पर भी कट्टरपंथी नेता आसानी से पनप रहे हैं। छात्र नेताओं, विपक्षी दलों और इस्लामी संगठनों के प्रमुखों का संयुक्त प्रयास कट्टरता और एंटी इंडिया नैरेटिव को मजबूत कर रहा है।

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