Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Dec, 2025 10:54 AM

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष समारोह में सोमवार को चेन्नई में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई अहम सवालों पर अपनी राय रखी। इस अवसर पर उनसे जब पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सत्ता की बागडोर किसे सौंपी...
चेन्नई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष समारोह में सोमवार को चेन्नई में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई अहम सवालों पर अपनी राय रखी। इस अवसर पर उनसे जब पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सत्ता की बागडोर किसे सौंपी जाएगी, तो भागवत ने स्पष्ट किया कि इस विषय पर अंतिम निर्णय भाजपा और मोदी जी आपस में चर्चा कर तय करेंगे। उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया पार्टी की रणनीति और अनुशासन के तहत होगी।
तमिलनाडु में राष्ट्रवादी भावना की सराहना
भागवत ने तमिलनाडु में RSS की सीमित उपस्थिति पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि राज्य में 100% राष्ट्रवादी भावना मौजूद है, लेकिन कुछ कृत्रिम बाधाओं के कारण इस भावना का पूर्ण रूप से अभिव्यक्ति नहीं हो पा रही है। भागवत ने आश्वस्त किया कि ये अवरोध लंबे समय तक टिकेंगे नहीं और इसे दूर करने के प्रयास लगातार जारी हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की जनता अपने संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रहित के प्रति समर्पित रही है और इन मूल्यों को और मजबूत करना आवश्यक है।
भाषाई विविधता और सांस्कृतिक गौरव पर जोर
संघ प्रमुख ने तमिलनाडु के लोगों से अपनी मातृभाषा में बातचीत करने और अपनी पारंपरिक जीवन शैली को बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि लोग तमिल में हस्ताक्षर करने में क्यों हिचकते हैं। भागवत ने सभी भारतीय भाषाओं को समान महत्व देते हुए कहा कि ये हमारी सांस्कृतिक पहचान और गौरव का हिस्सा हैं।
उन्होंने दक्षिण भारतीय राज्यों की संस्कृति की सराहना करते हुए खासकर पारंपरिक पोशाक ‘वेष्टि’ को लोगों के सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक बताया। भागवत ने स्पष्ट किया कि भारतीय संस्कृति की इस विविधता को संजोना और बढ़ावा देना समाज और राष्ट्र दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।