Edited By Shubham Anand,Updated: 28 Aug, 2025 08:52 PM

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित सम्मेलन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या संतुलन के लिए हर परिवार में तीन बच्चों की जरूरत बताई। उन्होंने अवैध घुसपैठ, धर्मांतरण और आरक्षण पर चिंता जताई। भागवत ने कहा कि आरक्षण तब तक...
नेशनल डेस्क : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे। उन्होंने देश की सुरक्षा और परिवार व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए हर परिवार में तीन बच्चे होने की आवश्यकता पर जोर दिया।
'हर परिवार में तीन बच्चे होने चाहिए'
भागवत ने कहा, "भारत की जनसंख्या नीति 2.1 बच्चों की सलाह देती है, जिसका अर्थ है कि हर परिवार में तीन बच्चे होने चाहिए। हर नागरिक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके परिवार में तीन बच्चे जरूर हों।" उनका मानना है कि यह कदम देश की सुरक्षा और जनसंख्या संतुलन के लिए बेहद आवश्यक है।
अवैध घुसपैठ और धर्मांतरण पर जताई चिंता
संघ प्रमुख ने अवैध घुसपैठ और धर्मांतरण को जनसंख्या असंतुलन के मुख्य कारणों में शामिल किया। उन्होंने कहा कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का मामला है, लेकिन इसमें किसी भी प्रकार का प्रलोभन या दबाव नहीं होना चाहिए। साथ ही, उन्होंने कहा कि अवैध घुसपैठ रोकने के लिए सरकार प्रयासरत है, लेकिन समाज को भी इसमें सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस अखंड भारत का समर्थक है और हमेशा विभाजन के खिलाफ रहा है। उन्होंने कहा, "हम सभी की एक पहचान है और वह हिंदू है। एकता की बात वहीं करनी चाहिए, जहां कोई अंतर हो।"
आरक्षण को लेकर भी दिया बयान
आरक्षण को लेकर सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "अगर किसी वर्ग के साथ अन्याय हुआ है और उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, तो उन्हें सहारा दिया जाना चाहिए। जब तक लाभार्थी अपने दम पर खड़े नहीं हो जाते, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि जातिगत भेदभाव और सामाजिक खाई को समाप्त करना संघ का मुख्य उद्देश्य है। "जब कोई गड्ढे में गिरा हो तो उसे ऊपर उठाना जरूरी है, तभी समाज में एकता और सद्भाव कायम होगा।"