Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 04 May, 2025 05:26 PM
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एक बार फिर यूरोपीय यूनियन (EU) को कड़े शब्दों में जवाब दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि भारत को ऐसे साथी देशों की जरूरत है जो संकट की घड़ी में उसके साथ खड़े हों, न कि केवल उपदेश देने वाले बनें। उनका यह...
नेशलन डेस्क: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एक बार फिर यूरोपीय यूनियन (EU) को कड़े शब्दों में जवाब दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि भारत को ऐसे साथी देशों की जरूरत है जो संकट की घड़ी में उसके साथ खड़े हों, न कि केवल उपदेश देने वाले बनें। उनका यह बयान उस समय आया है जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर यूरोपीय यूनियन ने एक ‘राजनीतिक’ टिप्पणी कर दी थी।
‘हम पार्टनर चाहते हैं, उपदेशक नहीं’
विदेश मंत्री एस जयशंकर से जब यह पूछा गया कि भारत यूरोप से क्या अपेक्षा करता है, तो उन्होंने बिना किसी संकोच के कहा, “जब हम दुनिया की तरफ देखते हैं तो हमें साथ देने वाले चाहिए, ज्ञान देने वाले नहीं। खासतौर पर ऐसे जो अपने देश में खुद वही बातें नहीं मानते जो दूसरों को सिखाते हैं।” जयशंकर ने साफ कहा कि कुछ यूरोपीय देश आज भी उसी मानसिकता में जी रहे हैं जहां वे खुद को श्रेष्ठ समझते हैं और बाकी दुनिया को ‘सिखाने’ की जिम्मेदारी उठाते हैं।
‘रियलिटी चेक जोन’ में पहुंच चुका है यूरोप
डॉ. जयशंकर ने आगे कहा कि धीरे-धीरे यूरोप अब ‘रियलिटी चेक जोन’ में एंट्री कर चुका है। इसका मतलब है कि आज जब दुनिया बदल रही है और शक्तियों का संतुलन नया रूप ले रहा है, तो अब यूरोप को भी यह समझ आ रहा है कि सिर्फ उपदेश देने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा, “अगर हमें मजबूत साझेदारी बनानी है तो कुछ समझ, संवेदनशीलता और पारस्परिक हितों की पहचान जरूरी है। यह प्रक्रिया यूरोप के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग स्तर पर चल रही है।”
पहलगाम हमले पर EU के बयान से नाराज़गी
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर यूरोपीय यूनियन ने एक बयान जारी किया। उस बयान को भारत ने ‘एकतरफा’ और ‘सहानुभूति से रहित’ बताया।
यूरोपीय यूनियन ने अपने बयान में हमले की निंदा तो की, लेकिन उसमें पाकिस्तान या आतंकी नेटवर्क का जिक्र नहीं किया। भारत को यह रवैया केवल 'औपचारिक प्रतिक्रिया' जैसा लगा, जिससे जयशंकर नाराज़ हो गए।
पहले भी यूरोप को दिखा चुके हैं आईना
डॉ. जयशंकर इससे पहले भी यूरोप को कई बार साफ शब्दों में जवाब दे चुके हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जब भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा, तो पश्चिमी देशों ने सवाल उठाए। तब जयशंकर ने कहा था: “अगर यूरोप को अपनी ऊर्जा ज़रूरतें पूरी करने का अधिकार है तो भारत को भी वही हक है।” उन्होंने ये भी कहा था कि “यूरोप को यह सोचना बंद करना चाहिए कि यूरोप की समस्याएं पूरी दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन बाकी दुनिया की परेशानियां यूरोप की समस्या नहीं हैं।”