Edited By Anu Malhotra,Updated: 04 Oct, 2025 04:19 PM

16 जुलाई 1981 का दिन भारतीय इनकम टैक्स विभाग के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब कानपुर के मशहूर उद्योगपति और पूर्व राज्यसभा सांसद सरदार इंदर सिंह के खिलाफ एक अभूतपूर्व छापेमारी की गई। उस समय भारत में उद्योग जगत में उनकी गहरी पकड़ थी। 1928 में...
नेशनल डेस्क: 16 जुलाई 1981 का दिन भारतीय इनकम टैक्स विभाग के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब कानपुर के मशहूर उद्योगपति और पूर्व राज्यसभा सांसद सरदार इंदर सिंह के खिलाफ एक अभूतपूर्व छापेमारी की गई। उस समय भारत में उद्योग जगत में उनकी गहरी पकड़ थी। 1928 में स्थापित सिंह इंजीनियरिंग वर्क्स, भारत का पहला स्टील री-रोलिंग मिल था, जबकि उनकी सिंह वैगन फैक्ट्री उत्तर भारत की सबसे बड़ी रेलवे वैगन निर्माण इकाई मानी जाती थी।
छापेमारी का विस्तार और विशेषताएं
इस छापेमारी में लगभग 90 इनकम टैक्स अधिकारियों के साथ 200 पुलिसकर्मी शामिल थे, और यह कार्रवाई कई सप्ताह तक चली। जब सोने और कैश की बरामदगी शुरू हुई, तो नोट गिनने के लिए 45 सदस्यों की एक विशेष टीम बनाई गई, जिसमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारी भी शामिल थे। नोट गिनने में इतना समय लगा कि लगभग 18 घंटे तक लगातार काम चलता रहा।
बरामदगी की मात्रा
कैश: करीब ₹1.60 करोड़
सोना: कुल 750 तोला (लगभग 87 किलो), जिसमें दो बड़ी सोने की ईंटें, बहुमूल्य गहने और 144 गिनी सिक्के शामिल थे।
विशेष उल्लेख: 500 तोला सोना सरदार इंदर सिंह की पत्नी मोहिंदर कौर के आवास से बरामद हुआ।
इतनी विशाल मात्रा में सोना और नकदी मिली कि यह भारत के सोने पर नियंत्रण (Gold Control Act, 1968) का स्पष्ट उल्लंघन था।
जांच और कानूनी कार्रवाई
आयकर विभाग ने इस रेड के बाद सरदार इंदर सिंह, उनकी पत्नी, बेटों, दामादों और अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इस छापेमारी ने उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठान को गंभीर नुकसान पहुंचाया और परिवार की छवि पर भी गहरा प्रभाव डाला। मोहिंदर कौर पर विशेष रूप से गोल्ड (कंट्रोल) एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई हुई।
बॉलीवुड और ‘Raid’ फिल्म का संबंध
इस ऐतिहासिक और सनसनीखेज छापेमारी की गूंज बॉलीवुड तक पहुंची। प्रसिद्ध अभिनेता अजय देवगन की फिल्म ‘रेड’ इसी घटना से प्रेरित मानी जाती है। फिल्म में दर्शाया गया है कि कैसे इनकम टैक्स विभाग ने सोने की काला बाजारी और वित्तीय अपराधों से निपटना शुरू किया।