Edited By Mahima,Updated: 13 Aug, 2024 11:59 AM
पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित विवाद में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में मानहानि का केस बंद कर दिया है।
नई दिल्ली: पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित विवाद में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में मानहानि का केस बंद कर दिया है। यह फैसला जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सुनाया है। इस मामले की शुरुआत तब हुई थी जब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि पर कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर भ्रामक प्रचार करने का आरोप लगाया था।
IMA का कहना था कि पतंजलि के विज्ञापनों में कोरोनिल और स्वसारी जैसे उत्पादों के कोविड-19 के इलाज के दावे को गलत बताया गया था, और इससे एलोपैथी दवाओं की उपेक्षा हो रही थी। कोर्ट ने पहले पतंजलि को चेतावनी दी थी कि उनके भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद किए जाएं। IMA की याचिका में आरोप लगाया गया था कि पतंजलि के विज्ञापन ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 का उल्लंघन कर रहे हैं। पतंजलि ने दावा किया था कि उनके उत्पाद कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है।
इसके बाद, आयुष मंत्रालय ने कंपनी को फटकार लगाई और विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि इसके बावजूद विज्ञापन जारी किए जा रहे थे। अदालत ने बाबा रामदेव को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का निर्देश दिया। रामदेव ने अदालत से माफी मांगी और स्वीकार किया कि उन्होंने गलती की थी। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसे भ्रामक विज्ञापन नहीं चलाए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने पर भी नाराजगी जताई थी, लेकिन रामदेव के वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि भविष्य में ऐसी गलतियाँ नहीं होंगी और उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी। इस निर्णय के बाद, पतंजलि के खिलाफ मानहानि का मामला बंद कर दिया गया है, और कंपनी को अपने विज्ञापन और प्रचार की नीतियों को सुधारने का निर्देश दिया गया है। यह फैसला पतंजलि और उसके नेताओं के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।