3 Idiots के वांगचुक ने बताया, क्यों चीन बॉर्डर पर बढ़ा रहा तनाव, बोले-हर भारतीय जवाब देने को रहे तैय

Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Jun, 2020 01:32 PM

sonam wangchuk explains why china is increasing tension on lac

र्फ के रेगिस्तान लद्दाख में शिक्षा का चेहरा बदलने वाले सोनम वांगचुक का कहना है कि चीन ने अपनी आंतरिक परेशानियों से ध्यान हटाने के लिए सीमा पर भारत के साथ टकराव की रणनीति अपनाई है। सीमा पर तो जांबाज सैनिक इसका जवाब दे रहे हैं, लेकिन देश की जनता को भी...

नेशनल डेस्क: बर्फ के रेगिस्तान लद्दाख में शिक्षा का चेहरा बदलने वाले सोनम वांगचुक का कहना है कि चीन ने अपनी आंतरिक परेशानियों से ध्यान हटाने के लिए सीमा पर भारत के साथ टकराव की रणनीति अपनाई है। सीमा पर तो जांबाज सैनिक इसका जवाब दे रहे हैं, लेकिन देश की जनता को भी चीनी सामान का बहिष्कार कर चीन पर ‘बुलेट और वॉलेट’ की दोहरी मार करनी होगी। सोनम वांगचुक का कहना है कि हम चीन से मोतियों से लेकर कपड़ों तक पांच लाख करोड़ का सामान खरीदते हैं और यही पैसा सीमा पर हथियार और बंदूक के तौर पर वापस हमारे सैनिकों की मौत का कारण बन सकता है।

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रोलेक्स अवार्ड और रमन मैगसायसाय पुरस्कार हासिल करके अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि हासिल करने वाले सोनम वांगचुक का कहना है कि चीन सिर्फ भारत के साथ ही बिना वजह छेड़छाड़ नहीं कर रहा, वह दक्षिण चीन सागर में वियतनाम, ताइवान और अब हांगकांग के साथ भी ऐसा ही कर रहा है। उनका मानना है कि चीन अपनी अंदरूनी समस्याओं से बचने के लिए इस तरह की हरकतों को अंजाम दे रहा है। 

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इसलिए ध्यान भटका रहा चीन
वांगचुक कहते हैं कि चीन में 140 करोड़ लोग मानव अधिकारों से महरूम हैं और उनसे बंधुआ मजदूरों की तरह काम लिया जाता है। बेरोजगारी आसमान छू रही है और ऐसे में चीन सरकार को अपनी जनता की नाराजगी और बगावत का डर है, इसीलिए वह सीमा पर इस तरह की घटनाओं से अपनी जनता का ध्यान भटकाना चाहता है।

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कौन हैं सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक के जिंदगी के सफर पर नजर डालें तो उनके रूप में एक बेहतरीन देशभक्त सामने आता है जो पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाकर सीमा पर सेना रखने पर होने वाले खर्च को शिक्षा पर खर्च करने की हिमायत करता है ताकि जमीन के टुकड़ों के साथ साथ देश के भविष्य की भी रक्षा हो सके। एक सितंबर 1966 को लद्दाख के एक छोटे से गांव उले ताक्पो में जन्मे सोनम वांगचुक ने कदम दर कदम अपनी उपलब्धियों से अपनी पहचान बनाई है। उन्हें नौ साल की उम्र तक स्कूल नहीं भेजा जा सका क्योंकि उनके घर के आसपास कोई स्कूल नहीं था। उनकी मां ने उन्हें घर पर ही शुरूआती शिक्षा दी। सीमावर्ती क्षेत्रों के बच्चों के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे निशुल्क आवासीय स्कूल विशेष केन्द्रीय विद्यालय, दिल्ली में उन्होंने शुरूआती पड़ाई की और श्रीनगर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च जुटाने के लिए उन्होंने लेह में 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पहला कोचिंग स्कूल खोला और धीरे-धीरे राज्य की लचर शिक्षा प्रणाली की पोल उनके सामने खुलने लगी। यहीं से उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मिली, जो आगे चलकर पर्यावरण संरक्षण और हिम स्तूप के निर्माण जैसी अनूठी पहल के रूप में सामने आई।

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फिल्म ‘3 इडियट्स’ सोनम वांगचुक के जीवन से प्रेरित
वर्ष 2009 में आई आमिर खान की फिल्म ‘3 इडियट्स’ को सोनम वांगचुक के जीवन से प्रेरित बताया गया था। खुद वांगचुक इस बात से ज्यादा सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि बॉलीवुड और क्रिकेट पर हमारे देश में जरूरत से ज्यादा ध्यान दिया जाता है इसकी बजाए बच्चों को शिक्षा का एक बेहतर माहौल देकर आने वाली पीढ़ी को संवारने की जरूरत है।

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