राजस्थान में जानलेवा बनी डॉक्टरों की हड़ताल, अब तक 40 की हुई मौत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Dec, 2017 06:37 PM

strike of deadly doctors in rajasthan 40 deaths so far

डॉक्टरों की हड़ताल से अब तक लगभग 40 मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं। बावजूद इसके सरकार और डॉक्टर अपनी-अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। वहीं, राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी डॉक्टर काम पर नहीं लौट रहे हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों और इंटर्न डॉक्टरों के भी...

जयपुरः राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल जानलेवा साबित हो रही है। रविवार को हड़ताल का चौथा दिन है। हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि इलाज के अभाव में अब तक 40 मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं। बावजूद इसके सरकार और डॉक्टर अपनी-अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। वहीं, राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी डॉक्टर काम पर नहीं लौट रहे हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों और इंटर्न डॉक्टरों के भी हड़ताल में शामिल होने से हालात और ज्यादा बदतर हो गए हैं। 

डॉक्टरों के लिए लागू किया एस्मा
राजस्थान के सभी जिला मुख्यालयों के बड़े अस्पताल सूने पड़े हैं। ग्रामीण इलाकों में जहां पर निजी अस्पतालों की सुविधा नहीं है, मरीज मारे-मारे फिर रहे है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, अजमेर जैसे राज्य के बड़े अस्पतालों में भी जहां 4 से 5 हजार ऑपरेशन रोज होते थे, वहां अब मुश्किल से 15 से 20 ऑपरेशन ही हो रहे हैं। गंभीर रोगों से पीड़ित लोग इलाज के लिए राज्य से बाहर जाने को मजबूर हैं। 21 दिसंबर से शुरू हुई हड़ताल में 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में चिकित्सक पेशे पर एस्मा लागू कर दिया गया है। सारे डॉक्टर डर से भूमिगत हो गए हैं। 

सेना के डॉक्टरों की ली जा रही मदद
वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ का कहना है कि डॉक्टरों के साथ नवंबर में हुए समझौते की सभी 12 मांगें सरकार ने मान लिया है लेकिन डॉक्टर जिद पर अड़े हैं कि अपने नेता डॉक्टरों के ट्रांसफर रद्द किए जाएं। जबिक हाई कोर्ट ने भी इनके ट्रांसफर को वाजिब ठहराया है। उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा सुचारू रखने के लिए सेना, बीएसएफ और रेलवे के डॉक्टरों की मदद ली जा रही है। 

राज्य में 9 हजार डॉक्टर हड़ताल पर 
सबसे बड़ी बात है कि हड़ताल खत्म होने की कोई आशा नहीं दिख रही है। राज्यभर में 9000 सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर हैं। राजस्थान सरकार ने हड़ताल पर गए 9 डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया है और 120 डॉक्टरों को हिरासत में ले लिया है।  हड़ताली डॉक्टरों की मुख्य मांग समयबद्ध प्रमोशन है। सरकार डॉक्टरों को 6 साल पर तरक्की देने को तैयार है यानी 18 साल में तीन बार तरक्की लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें 12 साल बाद 2 प्रमोशन एक साथ मिलें। हालांकि सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। उसका तर्क है कि बाकी सरकारी कर्मचारी भी ऐसी ही मांग करेंगे।


 

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