रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर बनवाना चाहते हैं सुब्रमण्यम स्वामी, SC ने कहा-3 महीने बाद सोचेंगे

Edited By Seema Sharma,Updated: 23 Jan, 2020 01:37 PM

subramanian swamy wants ram sethu to be a national heritage

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का केन्द्र को निर्देश देने के लिए भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर तीन महीने बाद विचार किया जाएगा। रामसेतु भारत और श्रीलंका के बीच मन्नार की खाड़ी में चूना पत्थरों...

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का केन्द्र को निर्देश देने के लिए भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर तीन महीने बाद विचार किया जाएगा। रामसेतु भारत और श्रीलंका के बीच मन्नार की खाड़ी में चूना पत्थरों की श्रृंखला है। रामायण के अनुसार रावण की कैद से सीता को छुड़ाने के लिए भगवान राम की वानर सेना ने रामसेतु की निर्माण किया था। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के लिए दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई के बारे में स्वामी की अर्जी का संज्ञान लिया। पीठ ने स्वामी से कहा कि आप तीन महीने बाद इसका उल्लेख करें। हम उस समय इस पर विचार करेंगे।

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2007 में रामसेतु के आसपास काम पर लगाई थी रोक
भाजपा नेता ने कहा कि वह इस मामले को लेकर कानूनी लड़ाई का पहला दौर जीत चुके हैं जिसमें केन्द्र ने रामसेतु के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि संबंधित मंत्री ने रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की उनकी मांग पर विचार के लिए 2017 में एक बैठक बुलाई थी लेकिन इसके बाद इस मामले में कुछ नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष बड़ी संख्या में लंबित मामलों का जिक्र करते हुए स्वामी से कहा कि वह तीन महीने बाद इस पर शीघ्र सुनवाई का उल्लेख करें।

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भाजपा नेता ने इससे पहले संप्रग सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई सेतुसमुद्रम जहाजरानी परियोजना के खिलाफ शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दायर कर रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का मुद्दा उठाया था। शीर्ष अदालत ने 2007 में रामसेतु के आसपास इस परियोजना के काम पर रोक लगा दी थी। सेतुसमुद्रम परियोजना के अंतर्गत चूना पत्थरों की इस श्रृंखला को हटाकर 83 किलोमीटर लंबा गहरा जलमार्ग बनाना था। यह जलमार्ग के लिए मन्नार को पाक जलडमरूमध्य से जोड़ने की परियोजना थी। सेतुसमुद्रम परियोजना का कुछ राजनीतिक दल, पर्यावरणविद और चुनिन्दा हिन्दू संगठन विरोध कर रहे थे।

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केन्द्र ने बाद में न्यायालय में दायर एक नये हलफनामे में कहा था कि सरकार रामसेतु को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाये बगैर ही इस परियोजना के लिए वैकल्पिक मार्ग की संभावना तलाशेगी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 13 नवंबर को केन्द्र को रामसेतु मामले में अपना रुख स्पष्ट करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया था। कोर्ट ने स्वामी को यह छूट प्रदान की थी कि अगर केंद्र अपना जवाब दाखिल नहीं करता है तो वह सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं।

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