Edited By Anil dev,Updated: 11 Jun, 2020 03:53 PM
उच्चतम न्यायालय ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मामले में अक्टूबर 2019 के फैसले के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) से बकाया मांगने को लेकर दूरसंचार विभाग (डीओटी) को फटकार लगाते हुए इस पर फिर से विचार करने को कहा है।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मामले में अक्टूबर 2019 के फैसले के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) से बकाया मांगने को लेकर दूरसंचार विभाग (डीओटी) को फटकार लगाते हुए इस पर फिर से विचार करने को कहा है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के दौरान डीओटी को निर्देश दिया कि वह एजीआर मामले में पिछले वर्ष अक्टूबर के फैसले के आधार पर पीएसयू से बकाया मांगने के निर्णय पर दोबारा विचार करे। खंडपीठ ने कहा कि 2019 के फैसले को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से बकाया मांगने का आधार नहीं बनाया जा सकता।
न्यायालय ने कहा कि ऐसा करके डीओटी उसके फैसले का दुरुपयोग कर रहा है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने डीओटी को फटकार लगाते हुए कहा कि पीएसयू से चार लाख करोड़ रुपये के बकाये की मांग पूरी तरह अनुचित है और विभाग को इसके लिए एक हलफनामा दाखिल करके बताना चाहिए कि ऐसा क्यों किया गया? उन्होंने कहा, च्च्हमारे फैसले का दुरुपयोग किया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने एजीआर बकाया के भुगतान को लेकर निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि वे बकाये का भुगतान कैसे करेंगे?
न्यायमूर्ति मिश्रा ने पूछा कि भुगतान की समय सीमा क्या होगी और इसकी क्या गारंटी है कि कंपनियां पैसे देंगी? इसके साथ ही तय समय सीमा में पैसा जमा करने का क्या तरीका होगा? क्या होगा अगर कंपनियों में से कोई लिक्विडशन (दिवालिया) में जाता है,फिर भुगतान कौन करेगा? न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए 18 जून की तारीख मुकरर्र की और इस दौरान दूरसंचार कंपनियों और डीओटी से हलफनामा दायर करने को कहा।