Edited By Yaspal,Updated: 23 Jan, 2022 11:02 PM
आईएएस कैडर नियमों में बदलाव के विरोध में अब दो राज्यों (केरल और तमिलनाडु) की सरकारें भी उतर आई हैं। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह...
नेशनल डेस्कः आईएएस कैडर नियमों में बदलाव के विरोध में अब दो राज्यों (केरल और तमिलनाडु) की सरकारें भी उतर आई हैं। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह मुद्दा सबसे पहले उठाते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा था। उसके बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने भी आवाज उठाई है। केंद्र सरकार ने आईएएस अफसरों की प्रतिनियुक्ति को लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है।
स्टालिन ने पीएम मोदी को भेजे पत्र में लिखा, आईएएस कैडर के इन नियमों में बदलाव से देश के संघीय ढांचे की राजनीति और राज्यों की स्वायत्तता की जड़ों पर प्रहार होगा। विजयन ने भी ऐसा ही पत्र केंद्र सरकार को भेजा है। इसमें कहा गया है कि यह पत्र सिविल सेवकों के बीच भय का माहौल पैदा करेगा, ये सिविल सेवक राज्यों की नीतियों को लागू करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
स्टालिन ने पत्र में लिखा, प्रस्तावित बदलाव से सहकारी संघवाद की भावना को कभी भी न भरने वाला नुकसान पहुंचेगा, जो केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा, अगर ये लागू होता है तो अखिल भारतीय सेवाओं के अफसर पूरा कार्यकाल केंद्र सरकार के भय के साये में बिताएंगे। यह देश की नौकरशाही के मजबूत ढांचे का मनोबल गिराएगा और उसे अस्थिर करेगा।
स्टालिन ने कहा, मैं एक बात प्रमुखता से कहना चाहूंगा कि कई राज्य सरकारें विशिष्ट वरिष्ठता के स्तर पर अफसरों की कमी का सामना कर रही हैं। मुख्यतया केंद्र सरकार की कैडर प्रबंधन की गलत नीतियों के कारण ऐसा हो रहा है। केरल के सीएम विजयन ने कहा कि मौजूदा प्रतिनियुक्ति के नियम पहले ही केंद्र सरकार के पक्ष में काफी ज्यादा झुकाव रखते हैं। विजयन ने कहा, प्रस्तावित संशोधन निश्चित तौर पर बदलाव का माहौल पैदा करेंगे और अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों में केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक तौर पर विरोध वाली नीतियों को लागू करने में हिचकिचाहट रहेगी।