Edited By Sahil Kumar,Updated: 11 Dec, 2025 03:08 PM

केंद्र सरकार ने करीब 50 लाख कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया है। 5 दिसंबर 2025 को जारी आदेश के अनुसार, पैनलबद्ध निजी अस्पतालों के साथ सभी मौजूदा समझौते (एमओए) 15 दिसंबर 2025 की मध्यरात्रि को रद्द हो जाएंगे। इसका मतलब है कि अस्पतालों को CGHS और...
नेशनल डेस्कः केंद्र सरकार ने करीब 50 लाख कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया है। 5 दिसंबर 2025 को जारी आदेश के अनुसार, पैनलबद्ध निजी अस्पतालों के साथ सभी मौजूदा समझौते (एमओए) 15 दिसंबर 2025 की मध्यरात्रि को रद्द हो जाएंगे। इसका मतलब है कि अस्पतालों को CGHS और ECHS के तहत सेवाएं जारी रखने के लिए नई शर्तों के तहत फिर से आवेदन करना होगा।
यदि कोई अस्पताल मौजूदा समझौते को रिन्यू नहीं कराता है, तो लाभार्थियों को सूची से कुछ सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा। इस बदलाव का मकसद अस्पतालों की जवाबदेही बढ़ाना और इलाज की दरों को मौजूदा स्वास्थ्य सेवा लागतों के अनुरूप बनाना है।
नए बदलावों की जरूरत क्यों पड़ी?
अस्पताल लंबे समय से पुराने रेट्स को लेकर शिकायत कर रहे थे। उनका कहना था कि मेडिकल खर्चों के मुताबिक भुगतान दरें अपडेट नहीं हुई हैं, जिससे कर्मचारियों पर स्वास्थ्य खर्चों का बोझ बढ़ रहा है। नए नियमों का उद्देश्य डिजिटल क्लेम प्रोसेस को बेहतर बनाना, खर्चों में एकरूपता लाना और अस्पतालों की जवाबदेही बढ़ाना है। इससे पहले भी CGHS में कई बड़े अपडेट किए गए हैं, जैसे कि रेफरल सिस्टम का पूरी तरह डिजिटल होना, टेली-कंसल्टेशन सेवाओं का विस्तार, पेंशनरों के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा बढ़ाना, अस्पतालों पर सख्त पेनल्टी लगाना, रूम रेंट, सर्जरी, ICU और डायग्नॉस्टिक्स जैसी दरों का अपडेट।
सरकारी आदेश में क्या कहा गया है?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि पैनलबद्ध निजी अस्पतालों के साथ सभी मौजूदा समझौते 15 दिसंबर 2025 की मध्यरात्रि को समाप्त हो जाएंगे। स्वास्थ्य सेवा संगठनों को ऑनलाइन हॉस्पिटल एम्पैनलमेंट मॉड्यूल के माध्यम से फिर से पंजीकरण कराना होगा। 90 दिनों के भीतर संशोधित समझौते पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा। अस्पतालों को 15 दिसंबर 2025 से पहले वचन-पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसमें वे नई दरों और शर्तों से सहमत होने की पुष्टि करेंगे। यदि कोई अस्पताल वचन-पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो उसे स्वतः ही पैनल से हटा दिया जाएगा।