16 बच्चों की मौत का सच: जहरघर में बन रहा था ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप, जांच में हुआ बड़ा खुलासा

Edited By Updated: 06 Oct, 2025 08:57 PM

the  coldrift  that killed children turned out to be a cure made from poison

मध्यप्रदेश में 16 मासूम बच्चों की मौत का कारण बना ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप किसी दवा फैक्ट्री में नहीं, बल्कि एक जहरघर जैसी अवैध इकाई में तैयार किया गया था। जांच में खुलासा हुआ कि वहां घरेलू गैस चूल्हों पर केमिकल उबाले जा रहे थे, प्लास्टिक पाइपों से...

नेशनल डेस्क: मध्यप्रदेश में 16 मासूम बच्चों की मौत का कारण बना ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप किसी दवा फैक्ट्री में नहीं, बल्कि एक जहरघर जैसी अवैध इकाई में तैयार किया गया था। जांच में खुलासा हुआ कि वहां घरेलू गैस चूल्हों पर केमिकल उबाले जा रहे थे, प्लास्टिक पाइपों से जहरीला तरल टपक रहा था, और मजदूर बिना दस्ताने और मास्क के मौत का सिरप तैयार कर रहे थे।

तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स ने इस सिरप को बनाने के लिए इंडस्ट्रियल ग्रेड केमिकल चेन्नई के स्थानीय डीलरों से नकद और जीपे के जरिए खरीदे थे- बिना किसी जांच या अनुमति के। यानी बच्चों की दवा में इस्तेमाल हुआ प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल किसी प्रमाणित दवा सप्लायर से नहीं, बल्कि पेंट और केमिकल कारोबारियों से लिया गया था।

तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल डायरेक्टरेट की 3 अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट ने पूरे खेल का पर्दाफाश कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल मिला था- वही इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट जो पेंट और एंटीफ्रीज में इस्तेमाल होता है। यही रासायनिक जहर छिंदवाड़ा में बच्चों को दवा बनकर दिया गया और किडनी फेल होने से उनकी मौत हो गई।

1 और 2 अक्टूबर को तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग ने जब फैक्ट्री पर छापा मारा, तो वहां का दृश्य भयावह था- जंग लगे उपकरण, गंदगी, खुली नालियां, दीवारों पर फफूंदी, और कोई लैब या सुरक्षा सिस्टम नहीं। जांच में 39 गंभीर और 325 बड़ी खामियां दर्ज की गईं।

चौंकाने वाली बात यह है कि कोल्ड्रिफ सिरप बैच SR-13 में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा तय सीमा से 500 गुना ज्यादा थी। यह सिरप मई 2025 में बना था और अप्रैल 2027 तक वैध घोषित किया गया था। महीनों तक यह सिरप बाजार में बिकता रहा, जबकि फैक्ट्री में ना शुद्ध पानी का सिस्टम था, ना कोई फिल्टर या गुणवत्ता जांच।

इसी जहरीले सिरप को छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक में डॉक्टरों ने बच्चों को दिया, जिससे अगस्त-सितंबर के बीच 16 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। ज्यादातर पीड़ित पांच साल से छोटे थे।

एक जांच अधिकारी के शब्दों में, यह “दुर्घटना नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की विफलता” थी- चेन्नई में घटिया केमिकल की खरीद से लेकर कांचीपुरम में जहरीला उत्पादन और मध्यप्रदेश में निर्बाध वितरण तक, हर स्तर पर निगरानी तंत्र नाकाम रहा।

अब श्रीसन फार्मा का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है, उत्पादन पर रोक लगा दी गई है और सभी स्टॉक फ्रीज कर दिए गए हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घटना को “बेहद दुखद” बताया और मुआवजे की घोषणा की। लेकिन उन माता-पिता के लिए कोई राहत नहीं, जिनके बच्चों की जान इलाज के नाम पर दिए गए जहर ने छीन ली।

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