Edited By Mansa Devi,Updated: 10 Dec, 2025 10:31 AM

बच्चों पर सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को लेकर दुनियाभर में चिंता जताई जाती रही है। अब एक नई स्टडी ने इस खतरे को और स्पष्ट कर दिया है। शोध में पाया गया है कि लंबे समय तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, ध्यान क्षमता और दिमाग के...
नेशनल डेस्क: बच्चों पर सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को लेकर दुनियाभर में चिंता जताई जाती रही है। अब एक नई स्टडी ने इस खतरे को और स्पष्ट कर दिया है। शोध में पाया गया है कि लंबे समय तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, ध्यान क्षमता और दिमाग के विकास पर गंभीर असर डाल सकता है। अमेरिका में की गई इस स्टडी में अलग-अलग उम्र के हजारों बच्चों को शामिल किया गया था और उनके डिजिटल व्यवहार पर बारीकी से नजर रखी गई।
स्टडी में क्या पाया गया?
स्वीडन के करोलिंस्का इंस्टीट्यूट और ऑरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी ने मिलकर यह रिसर्च की। इसमें पता चला कि बच्चे औसतन—
2.3 घंटे टीवी या ऑनलाइन वीडियो देखने में,
1.4 घंटे सोशल मीडिया पर,
1.5 घंटे वीडियो गेम खेलने में बिताते हैं।
इन सभी डिजिटल गतिविधियों में से केवल सोशल मीडिया को सीधे तौर पर बच्चों की अटेंशन प्रॉब्लम्स से जुड़ा पाया गया। रिसर्चर्स का कहना है कि लंबी अवधि तक सोशल मीडिया यूज करने वाले बच्चे कम ध्यान लगा पाते हैं और फोकस जल्दी टूट जाता है।
सोशल मीडिया क्यों बन रहा है खतरनाक?
स्टडी के अनुसार, सोशल मीडिया बाकी डिजिटल मीडिया की तुलना में बच्चों के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण है। इसके पीछे कई कारण हैं—
नोटिफिकेशन और लगातार अपडेट
हर कुछ मिनट पर आने वाले अलर्ट बच्चों के दिमाग को बेचैन रखते हैं। इससे उनका फोकस बार-बार भटकता है।
मैसेज का इंतजार बनता है मानसिक तनाव
बच्चे कई बार फोन को बार-बार चेक करते हैं कि कोई मैसेज आया या नहीं। यह भी मानसिक डिस्ट्रेक्शन का बड़ा कारण है।
दिमाग के विकास पर असर
रिसर्चर्स का कहना है कि इस उम्र में बच्चों का दिमाग तेजी से विकसित होता है। ऐसे में लगातार सोशल मीडिया की ओर ध्यान खिंचता रहना उनकी अटेंशन क्षमता को कमजोर कर देता है।
खतरा व्यक्तिगत नहीं, सामूहिक भी
स्टडी के सीनियर ऑथर प्रोफेसर टॉर्केल क्लिंगबर्ग के मुताबिक
“एक बच्चे पर इसका असर कम लग सकता है, लेकिन जब बड़ी संख्या में बच्चे सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताते हैं, तो इसका असर समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा बन जाता है।” रिसर्च में साफ कहा गया है कि यदि यह आदतें बनी रहीं, तो आने वाले समय में बच्चों की सीखने की क्षमता और मानसिक स्थिरता पर गहरा असर पड़ सकता है।