हिंदू मैरिज एक्‍ट पर सुनवाई से कोर्ट का इंकार, कहा पहले से बना है कानून

Edited By Yaspal,Updated: 11 Apr, 2018 05:35 PM

the court s refusal to hear on the hindu marriage act has already been made law

कर्नाटक की हिंदू महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है, दायर याचिका में कहा गया है कि शादी को लेकर दोनों की रजामंदी अनिवार्य की जाए। महिला और पुरुष की सहमति के बाद ही विवाह को वैध...

नेशनल डेस्कः कर्नाटक की हिंदू महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है, दायर याचिका में कहा गया है कि शादी को लेकर दोनों की रजामंदी अनिवार्य की जाए। महिला और पुरुष की सहमति के बाद ही विवाह को वैध माना जाए। इस पर अदालत ने महिला की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम में पहले से यह कानून बना है कि दोनों पक्षों में से किसी एक ने विवाह धोखे से या फिर कुछ छिपाकर किया है तो विवाह रद्द माना जाएगा। वहीं कोर्ट ने युवती को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है और कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया है।

युवती ने हिंदू विवाह अधिनियम को दी चुनौती
हिंदू विवाह अधिनियम में शादी के लिए स्वतंत्र सहमति के प्रावधान न होने के आधार पर महिला ने कानून की कुछ धाराओं को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें युवती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हिंदू विवाह अधिनियम में स्वतंत्र सहमति को अनिवार्य हिस्सा बनाए जाने की मांग की है।

शादी के बाद युवती भागकर आई दिल्ली
युवती ने दायर याचिका में कहा कि वह पेशे से इंजीनियर है कि दूसरी जाति के युवक से शादी करना चाहती थी, लेकिन उसके परिजनों ने उसकी मर्जी के खिलाफ दूसरे युवक से जबरन शादी करा दी। शादी के बाद युवती भागकर दिल्ली आ गई और उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर सुरक्षा की मांग की, इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि यह प्रावधान संविधान के अधिकार के विपरीत है। 


 

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