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बंगाल में शिक्षकों की भर्ती मुद्दे पर राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच जोरदार हंगामा, बैठक स्थगित

Edited By Rahul Rana,Updated: 04 Apr, 2025 01:02 PM

there was a huge uproar between the ruling and opposition

बंगाल में शिक्षकों की भर्ती के मुद्दे पर राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच जोरदार हंगामा हुआ, जिसके कारण उच्च सदन की बैठक शुरू होने के करीब 25 मिनट बाद ही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस हंगामे के कारण सदन में शून्यकाल...

नेशनल डेस्क: बंगाल में शिक्षकों की भर्ती के मुद्दे पर राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच जोरदार हंगामा हुआ, जिसके कारण उच्च सदन की बैठक शुरू होने के करीब 25 मिनट बाद ही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस हंगामे के कारण सदन में शून्यकाल का संचालन भी नहीं हो पाया। बैठक की शुरुआत में सभापति ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए और इसके बाद उन्होंने शून्यकाल में सदस्यों से लोक महत्व के मुद्दे उठाने को कहा। जैसे ही शून्यकाल शुरू हुआ, सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। इससे सदन में शोरगुल मच गया और सभापति ने स्थिति को संभालने के लिए सभी सदस्यों से शांति बनाए रखने की अपील की। राज्यसभा में पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती के मुद्दे पर हुआ हंगामा यह दर्शाता है कि इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्षी पार्टियों के बीच गंभीर राजनीतिक मतभेद हैं। इस मामले को लेकर आगे भी संसद में चर्चा जारी रहने की संभावना है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और विपक्ष इस मुद्दे पर किस तरह से आगे बढ़ते हैं।

हंगामे के दौरान सदन की स्थिति:
  
सभापति ने हंगामे को शांत करने के प्रयास किए और सदस्यों से एक-एक कर अपनी बात रखने को कहा, ताकि कोई व्यवधान न हो। उन्होंने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी शांति से बैठने की सलाह दी। इसके बाद भाजपा सदस्य लक्ष्मीकांत बाजपेयी को बोलने की अनुमति दी गई।  

लक्ष्मीकांत बाजपेयी का बयान:

लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित और राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय ने अवैध करार दिया है। बाजपेयी ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 22 अप्रैल 2024 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था और यह आदेश दिया गया था कि दागी अभ्यर्थियों को प्राप्त वेतन/भत्ते वापस करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ गई थी, लेकिन न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को ही सही ठहराया। बाजपेयी के इस बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सदन में और अधिक हंगामा करने लगे। 

तृणमूल कांग्रेस का विरोध: 

तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओ'ब्रायन ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन हंगामे के कारण उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण वे अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं। इस विवाद और हंगामे के बीच सभापति ने स्थिति को संभालते हुए बैठक को 11:25 बजे स्थगित कर दिया और इसे दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

राज्यसभा की स्थगित बैठक:
  
बैठक में हंगामे के बाद सभापति ने सदस्यों से शांत रहने की अपील की और कहा कि यदि सभी सदस्य एक साथ बोलेंगे तो किसी की भी बात नहीं सुनी जा सकेगी। इसके बाद बैठक स्थगित कर दी गई। 

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव:
  
पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती के इस मुद्दे पर राज्यसभा में हो रहा हंगामा राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह मामला न केवल पश्चिम बंगाल सरकार के लिए बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। उच्चतम न्यायालय द्वारा किए गए फैसले के बाद राज्य सरकार की स्थिति कमजोर हुई है, और अब यह देखना होगा कि इस फैसले का आगे क्या असर होता है।


 

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