PM बोरिस हमेशा भारत के साथ, खालिस्तान समर्थक संगठनों के खिलाफ: ब्रिटिश सिख एसो.

Edited By Tanuja,Updated: 13 Aug, 2020 03:43 PM

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ब्रिटिश सिख एसोसिएशन के अध्यक्ष लॉर्ड रामी रेंजर ने एक बार फिर स्पष्ट शब्दों में दावा किया है कि  ब्रिटिश सरकार इंगलैंड में खालिस्तान आंदोलन या भारत के खिलाफ किसी भी गतिविधि को समर्थन नहीं दे रही है

लंदनः ब्रिटिश सिख एसोसिएशन के अध्यक्ष लॉर्ड रामी रेंजर ने एक बार फिर स्पष्ट शब्दों में दावा किया है कि  ब्रिटिश सरकार इंगलैंड में खालिस्तान आंदोलन या भारत के खिलाफ किसी भी गतिविधि को समर्थन नहीं दे रही है। लार्ड रेंजर ने कहा कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री  बोरिस जॉनसन ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनका देश कभी भी अलगाववादी ताकतों को समरथन नहीं दे सकता।  इंडिया टुडे के साथ एक विशेष साक्षात्कार में व्यापारी और ब्रिटिश सिख एसोसिएशन के अध्यक्ष लॉर्ड रेंजर ने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री जॉनसन को सूचित किया कि खालिस्तान के लिए कुछ अलगाववादी संगठन काम कर रहे हैं और वे पंजाब को भारत से अलग करना चाहते हैं। इस पर प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से मुझे आश्वासन दिया कि ब्रिटिश सरकार ऐसे संगठनों या भारत के खिलाफ किसी तरह का समर्थन नहीं करती है।

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बता दें कि ब्रिटेन में 'रेफरेंडम 2020' खालिस्तान के पक्ष में फिर अलगाववादी सिख समूह आवाज उठा रहे है। यहां एक बार फिर खालिस्तान को लेकर बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। ब्रिटेन के प्रमुख सिख समूह सिख फेडरेशन ने  लॉर्ड रामी रेंजर पर भाजपा हितैषी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए रामी पर सिखों के अधिकारों और उनकी जायज मांगों की कीमत पर हिंदुत्व और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली भारत सरकार के हितों के लिए काम करने का आरोप लगाया है। बता दें कि हाल ही में, प्रधानमंत्री के समर्थन का उल्लेख करते हुए लॉर्ड रेंजर की आलोचना की गई थी।

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संसद लेबर पार्टी की सदस्य प्रीति गिल ने कहा था कि  खालिस्तान की एक अलग मातृभूमि के लिए सिखों की मांग उचित है और इस संदर्भ में "संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद आत्मनिर्णय का सिद्धांत प्रमुखता से सन्निहित है"। गिल ने कहा कि भले ही प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यह दावा किया हो, लेकिन वह कानून से ऊपर नहीं । ब्रिटेन में सिख समुदाय ने लॉर्ड रेंजर द्वारा दिए गए गैरजिम्मेदाराना बयान के खिलाफ बहुत गुस्से से जवाब दिया है क्योंकि उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री और ब्रिटिश सरकार सिख समुदाय के आत्मनिर्णय के अधिकार में विश्वास नहीं करती ।

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क्या है रेफरेंडम 2020 विवाद?
दरअसल, सिख फॉर जस्टिस (SFJ) नाम का एक समूह पिछले कई सालों से खालिस्तान की मांग को लेकर लंदन में माहौल बना रहा है। SFJ  का कहना है कि उनका मकसद इस मामले को संयुक्त राष्ट्र तक ले जाना है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को यह भी बताना है कि पंजाब की जो स्वतंत्र स्थिति पहले थी, उसे फिर से कायम किया जाए।  वहीं, भारत सरकार ने इस रैली का कड़ा विरोध जताया है और सरकार इन्हें अलगवावादी बता रही है।

 

 

 

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