Edited By ,Updated: 07 Apr, 2015 05:23 AM
सरकार और सरकारी एजैंसियों के अधिकतर ट्रांसफरों में हम हस्तक्षेप नहीं करते परंतु यहां ...
चंडीगढ़ (विवेक): ‘सरकार और सरकारी एजैंसियों के अधिकतर ट्रांसफरों में हम हस्तक्षेप नहीं करते परंतु यहां मामला ड्रग्स व मनी लांड्रिंग का है। ऐसे में ट्रांसफर से पहले ई.डी. और पंजाब सरकार हाईकोर्ट को संतुष्ट करें।’
ई.डी. के सहायक निदेशक (ए.डी.) निरंजन सिंह के तबादले के मामले में सोमवार को यह टिप्पणी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस ए.के. मित्तल की खंडपीठ ने की। ई.डी. ने दलील दी कि निरंजन की जरूरत सारदा चिट फंड घोटाले की जांच में है। पंजाब में मनी लांड्रिंग की जांच के लिए श्रीनगर से ए.डी. राजीव कुमार और दिल्ली से ए.डी. अजय सिंह को बुलाया गया है। कोर्ट ने पूछा कि इन्हीं 2 अधिकारियों को सारदा घोटाले की जांच क्यों नहीं सौंपी जाती।
कोर्ट ने ई.डी. को इस मामले में जांच से जुड़ा सारा रिकार्ड पेश करने के निर्देश दिए। साथ ही पंजाब पुलिस को ड्रग्स केस में याचिका दायर होने से लेकर अब तक की जांच की स्टेटस रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश करने के निर्देश दिए गए, ताकि पता चले कि जांच कैसे और किस दिशा में बढ़ रही है। हाईकोर्ट ने निरंजन सिंह के तबादले पर रोक बरकरार रखी है। अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।
सोमवार को ई.डी. के ए.डी. निरंजन सिंह की ओर से पेश एडवोकेट ने कहा कि ई.डी. का दावा है कि जांच पूरी हो चुकी है लेकिन यह सफेद झूठ है। जांच अभी जारी है। ई.डी. ने जिन 2 अधिकारियों के नाम हाईकोर्ट में दिए हैं, उनमें से राजीव कुमार को ए.डी. के तौर पर केवल 3 माह का अनुभव है और अजय सिंह को सिर्फ 10 दिन का। दोनों अधिकारियों में से किसी को मनी लांड्रिंग की जांच का अनुभव नहीं है।