Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Jun, 2023 04:04 PM
आल इंडिया एंटी टैरिस्ट फ्रंट के चेयरमैन मनिंद्रजीत सिंह बिट्टा ने हाल ही में ब्रैम्पटन में खालिस्तानियों द्वारा निकाली गई पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या का गुणगान करने वाली झांकी के कड़े शब्दों में आलोचना की है।
आल इंडिया एंटी टैरिस्ट फ्रंट के चेयरमैन मनिंद्रजीत सिंह बिट्टा ने हाल ही में ब्रैम्पटन में खालिस्तानियों द्वारा निकाली गई पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या का गुणगान करने वाली झांकी के कड़े शब्दों में आलोचना की है। पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत के दौरान बिट्टा ने कहा कि सिख कौम की छवि पूरी दुनिया में मानवता की रक्षक के रूप में है लेकिन मुट्ठी भर खालिस्तानी समर्थक सिखों की छवि एक हिंसक कौम के तौर पर स्थापित कर रहे हैं। बिट्टा ने इसके साथ ही आस्ट्रेलिया के मंदिरों में हुए हमले, पाकिस्तान में हुई परमजीत पंजवड की हत्या और विदेशों में भारतीय दूतावासों के बाहर हो रहे खालिस्तानियों के प्रदर्शन को लेकर भी बेबाकी से बात की।
पेश है पूरी बातचीत :
• ब्रैम्पटन में खालिस्तानियों द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या का गुणगान करने वाली झांकी को आप किस रूप में देखते हैं?
जब दुनिया भर में सिखी की बात आती है तो सिख कौम की छवि हमेशा मानवता की रक्षक और परेशानी के दौर में किसी भी वर्ग की मदद के लिए तैयार खड़े होने वाली कौम के रूप में जानी जाती है लेकिन कनाडा में खालिस्तानियों की इस हरकत ने कौम को शर्मिदा किया है। खालिस्तानियों को 1984 में हुए दंगों की नाराजगी है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि इंदिरा गांधी की हत्या न होती तो क्या ये दंगे होते? जिन्होंने हत्या करनी थी उन्होंने तो अपना काम कर दिया और इस हत्या का राजनीतिक इस्तेमाल करके उस समय की सरकार ने देश में चुनाव भी जीत लिया लेकिन इससे सिखों को क्या हासिल हुआ?
उस दौर में पूरे देश में सिखों का जान-माल का भारी नुक्सान हुआ लेकिन खालिस्तानी आज उस नुक्सान की बात नहीं करते। इन्हें बस अपनी झूठी चौधर की ङ्क्षचता है और यह अपनी इस चौधर की खातिर पूरी कौम का नाम बदनाम कर रहे हैं। यदि उस समय दरबार साहिब को ढाल बनाकर आतंकवादी अंदर हथियार लेकर न जाते तो क्या आप्रेशन ब्ल्यू स्टार हो जाता। उस समय भी भाई गुरदास और मियां मीर के बनाए दरबार साहिब को हथियारों से अपवित्र किया गया। जब सेना वहां पहुंची तो उस समय भी अंदर बैठे आतंकियों को आत्मसमर्पण करने का मौका दिया गया लेकिन उन्होंने सेना की अपील को नजरअंदाज कर दिया। यदि वे सच्चे सिख होते तो बाहर आकर सीने पर गोली खाते लेकिन न तो वे खालिस्तान हासिल कर सके और साथ ही दरबार साहिब व अकाल तख्त साहिब की मर्यादा को भी ठेस पहुंचाई।
• ब्रैम्पटन में हुई परेड पर भारत की प्रतिक्रिया को आप कैसे देखते हैं?
मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रशंसक नहीं हूं लेकिन आज भारत की विदेश नीति और भारत की रक्षा नीति के कारण दुनियाभर में भारत की छवि मजबूत हुई है और भारत आज कनाडा के साथ आंख से आंख मिलाकर बात करता है। भारत की तरफ से कनाडा को दी गई चेतावनी का निश्चित तौर पर असर होगा और कनाडा खालिस्तानियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर मजबूर होगा।
• प्रधानमंत्री के आस्ट्रेलिया दौरे के बाद क्या वहां खालिस्तानियों की गतिविधियों पर कोई विराम लगेगा?
आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने नरेन्द्र मोदी को बॉस कह कर संबोधित किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पिछले महीनों में खालिस्तानियों द्वारा मंदिरों पर किए गए हमलों का मामला जोर-शोर से उठाया है। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस दौरे का निश्चित तौर पर आस्ट्रेलिया में खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों पर असर होगा और वहां की सरकार भारत विरोधी तत्वों पर कार्रवाई के लिए मजबूर होगी। वैसे भी प्रधानमंत्री के दौरे के एक हफ्ते के भीतर ही आस्ट्रेलिया ने भारतीयों को दिए जाने वाले वीजा की संख्या बढ़ा दी है और आस्ट्रेलिया में सिख रिफरैंडम को भी रोक दिया गया।
• विदेशों से उठ रही खालिस्तान बनाने की आवाजों को आप कैसे देखते हैं?
मुट्ठी भर खालिस्तानी यह आवाज विदेशों में ही उठा सकते हैं। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वे भारत आकर इस पर बहस करें। भारत में आकर रिफरैंडम करवाने, उनके साथ 10,000 लोग भी नहीं जुड़ेंगे। क्या यह मौजूदा पंजाब को खालिस्तान बनाना चाहते हैं, जिसकी सीमा बठिंडा में जाकर खत्म हो जाती है और दूसरी तरफ राजपुरा में जाकर पंजाब खत्म हो जाता है। क्या वे दिल्ली में गुरुद्वारा रकाबगंज या शीशगंज साहिब या बंगलासाहिब गुरुद्वारा के दर्शनों के लिए पासपोर्ट का इस्तेमाल करना चाहते हैं या वे नंदेड़ साहिब व पटना साहिब के लिए भी वीजा चाहते हैं। सुबह जब गुरुद्वारा साहिब में अरदास होती है तो उसमें कहा जाता है कि संगत को बिछड़े हुए गुरुधाम वापस मिलें। इनमें ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब शामिल हैं। क्या अब खालिस्तानी भारत के अन्य हिस्सों के ऐतिहासिक गुरुद्वारों से भी संगत को बिछोड़ना चाहते हैं।
• पाकिस्तान में हुई परमजीत पंजवड की हत्या को आप कैसे देखते हैं?
पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. ने परमजीत पंजवड की हत्या करवाई है। पंजवड फिरोजपुर में 12 राय सिखों की हत्या का आरोपी था और उसने पंजाब में कई बेगुनाह नौजवानों का कत्ल किया था। पंजवड जैसे कई और खालिस्तानी आतंकी भी पाकिस्तान की पनाह में हैं और यह भारत में नार्को टैरिज्म फैलाने का काम कर रहे हैं लेकिन खालिस्तानियों को पंजाब के युवाओं को बर्बाद कर रहा पाकिस्तान नजर नहीं आता। पाकिस्तान में ग्रंथी की बेटी का अपहरण कर लिया जाता है।
सैंकड़ों हिन्दुओं को धर्म परिवर्तन करवाया जाता है और खालिस्तानी चूं तक नहीं करते। भारत में उनके कङ्क्षरदे नशा फैलाने का काम करते हैं और पंजाब व केन्द्र की एजैंसियां इस मामले में नाकाम साबित हो रही हैं। भारत में कुछ यू-ट्यूब चैनल पंजवड जैसे आतंकियों को योद्धा बताते हैं और भारत में सिखों का नाम बदनाम करते हैं। बेगुनाहों की हत्या करने वाले योद्धा कैसे हो सकते हैं। पाकिस्तान हमारा दुश्मन है और उसका पूरा जोर पंजाब की युवा पीढ़ी बर्बाद करने पर लगा हुआ है।
भारत में सिखों को हासिल हुआ पूरा सम्मान
बिट्टा ने कहा कि भारत में सिखों की आबादी 2 प्रतिशत है लेकिन इस देश में मनमोहन सिंह लगातार 10 वर्ष प्रधानमंत्री रहे हैं। बूटा सिंह इस देश के गृह मंत्री रहे हैं जबकि ज्ञानी जैल सिंह को देश का राष्ट्रपति होने का गर्व हासिल हुआ है। अर्जुन सिंह और जगजीत सिंह अरोड़ा देश की सेनाओं में सर्वोच्च पदों पर रहे जबकि जोगिंदर सिंह सी.बी.आई. के प्रमुख रहे। जे.जे. सिंह आर्मी के प्रमुख रहे और कुलदीप सिंह देश के चीफ जस्टिस रहे हैं। इतनी कम आबादी के बावजूद सिखों को देश की हर संवैधानिक संस्था में सर्वोच्च स्थान हासिल हुआ है और इस पर किसी ने उंगली तक नहीं उठाई। फिर खालिस्तानी किस मुंह से बोलते हैं कि भारत में सिखों को सम्मान नहीं मिलता।