‘राज्यों के अतिरिक्त कर्ज को सुधारों के साथ जोड़ने से मध्यम अवधि में कर्ज प्रबंधन में मिलेगी मदद’

Edited By PTI News Agency,Updated: 21 May, 2020 11:43 PM

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नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) पन्द्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्यों के अतिरिक्त कर्ज को सुधारों से जोड़ने से मध्यम अवधि में कर्ज प्रबंधन में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के समक्ष सबसे मुश्किल काम...

नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) पन्द्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्यों के अतिरिक्त कर्ज को सुधारों से जोड़ने से मध्यम अवधि में कर्ज प्रबंधन में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के समक्ष सबसे मुश्किल काम वहनीय कर्ज की स्थिति में लौटना है।
सिंह ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अतिरिक्त व्यय के वित्त पोषण को लेकर केंद्र सरकार के पास रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श कर राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिये अतिरिक्त मुद्रा की छपाई समेत सभी विकल्प खुले होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्यों को 2 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज की अनुमति देकर एक संतुलित कदम उठाया गया है। यह कदम राजकोषीय ढांचे की मजबूती के लिये अच्छा है।

केंद्र ने आर्थिक पैकेज के तहत 17 मई को राज्यों की कर्ज सीमा राज्य जीडीपी के 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 2020-21 में 5 प्रतिशत कर दी। इससे राज्यों को कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिये 4.28 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे।

हालांकि बढ़ी हुई कर्ज सीमा का कुछ हिस्सा सुधारों से जुड़ा हैं। इसमें एक देश-एक राशन कार्ड लागू करना, कारोबार सुगमता को बढ़ाना, बिजली वितरण कंपनियों में सुधार तथा शहरी स्थानीय निकायों को सुदृढ़ करना शामिल है।

राजकोषीय मजबूती पर समिति की बैठक के बाद सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कर्ज सीमा में बढ़ोतरी से राज्य की उधारी बढ़ेगी। कुछ सुधार जरूरी है क्योंकि इससे उन्हें मध्यम अवधि में कर्ज प्रबंधन में मदद मिलेगी। यह राज्यों के हित में है... उच्च वद्धि के रास्ते पर जाने के लिये यह जरूरी है।’’
दो प्रतिशत की अतिरिक्त उधारी में से 0.5 प्रतिशत के लिये कोई शर्त नहीं है जबकि 1 प्रतिशत कुछ सुधारों पर निर्भर है (प्रत्येक सुधारों पर 0.25 प्रतिशत)। पुन: 0.50 प्रतिशत सुझाये गये कम-से-कम तीन सुधारों के क्रियान्वयन के लिये है।।

फिलहाल राज्य जीडीपी के 3 प्रतिशत की कर्ज सीमा के आधार पर राज्यों की शुद्ध कर्ज सीमा 6.41 लाख करोड़ रुपये है। विभिन्न राज्यों ने केंद्र को पत्र लिखकर कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिये अतिरिक्त संसाधन के लिये कर्ज सीमा बढ़ाने का आग्रह किया था।

सिंह ने कहा, ‘‘सुधार असमानता को दूर करता है। भरोसेमंद कर्ज वृद्धि के रास्ते पर लौटना मुश्किल काम होगा। यह चुनौतीपूर्ण है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को महामारी के कारण व्यय बढ़ने से कर्ज का जो बोझ बढ़ा है, उसके भरोसेमंद प्रबंधन के लिये मध्यम अवधि में 8 प्रतिशत से अधिक जीडीपी वृद्धि दर हासिल करनी होगी।

सिंह ने कहा कि आयोग मध्यम अवधि में राजकोषीय स्थिति को लेकर जनवरी-मार्च और अप्रैल-जून के आंकड़ों पर गौर करेगा तथा अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देगा।
सिंह की अगुवाई वाले वित्त आयोग को 2020-21 से 2025-26 की अवधि के लिये राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गयी है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के कारण अतिरिक्त व्यय के वित्त पोषण को लेकर केंद्र सरकार के पास रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श कर राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिये अतिरिक्त मुद्रा की छपाई समेत सभी विकल्प खुले होने चाहिए।’’
उल्लेखनीय है कि सरकार ने कोरोना वायरस संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है जो 2020-21 के जीडीपी का करीब 10 प्रतिशत है।


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