Edited By PTI News Agency,Updated: 07 Jul, 2020 06:35 PM
नई दिल्ली, सात जुलाई (भाषा) कृषि मंत्रालय ने कहा है कि नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड (एनएमपीबी) और आईसीएआर के राष्ट्रीय पौध आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीपीजीआर) ने औषधीय और सुगंधित पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण के लिए एक समझौते पर...
नई दिल्ली, सात जुलाई (भाषा) कृषि मंत्रालय ने कहा है कि नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड (एनएमपीबी) और आईसीएआर के राष्ट्रीय पौध आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीपीजीआर) ने औषधीय और सुगंधित पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर सोमवार को हस्ताक्षर किये गये जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय जीन बैंक में दीर्घकालिक भंडारण मॉड्यूल (उपलब्धता के अनुसार) में आईसीएआर-एनबीपीजीआर के निर्दिष्ट स्थान पर अथवा मध्यम अवधि के भंडारण मॉड्यूल के लिए क्षेत्रीय स्टेशन पर औषधीय और सुगंधित पौधों के आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण करना है।
समझौते का उद्देश्य आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले एनएमपीबी के कार्य समूह को पौध जर्मप्लाज्म संरक्षण तकनीकों पर यथास्थान प्रशिक्षण प्रदान करना है।
समझौता ज्ञापन के अनुसार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से एनएमपीबी आईसीएआर-एनबीपीजीआर, औषधीय और सुगंधित पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के बीज भंडारण के लिए विस्तृत तौर-तरीके विकसित करेंगे, और अपने संबंधित संगठनों को समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
बयान में कहा गया है कि एनएमपीबी और आईसीएआर-एनबीपीजीआर दोनों ही वर्तमान और भावी पीढ़ियों के सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित और कम लागत वाले दीर्घकालिक आधार पर जर्मप्लाज्म के संरक्षण के माध्यम से राष्ट्रीय हितों को साधने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
औषधीय पौधों को पारंपरिक दवाओं के समृद्ध संसाधनों के रूप में माना जाता है और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में हजारों वर्षों से उपयोग किया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि भारत के पास औषधीय पौधों के संसाधनों की समृद्ध विविधता है।
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