Edited By PTI News Agency,Updated: 09 Mar, 2021 06:21 PM
नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) बुनियादी ढांचा खर्च तथा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) परियोजनाओं से अगले वित्त वर्ष 2021-22 में अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) बुनियादी ढांचा खर्च तथा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) परियोजनाओं से अगले वित्त वर्ष 2021-22 में अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दो हिस्सों में होगी। पहली छमाही में पिछले साल के निचले आधार प्रभाव की वजह से वृद्धि दर बढ़ेगी, जबकि दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर खर्च तथा पीएलआई परियोजनाओं से निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे अंतत: वृद्धि दर बढ़ेगी।
क्रिसिल का अनुमान है कि 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहेगी। वहीं, चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में आठ प्रतिशत की गिरावट आएगी।
एजेंसी का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में चार सकारात्मक चीजें होंगी, जिससे अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। लोग महामारी के बाद नए ‘सामान्य’ के साथ रहना सीख जाएंगे, कोरोना वायरस संक्रमण की दर स्थिर होगी, अधिक लोगों को टीका लगाया जाएगा और सरकार का खर्च निवेश केंद्रित रहेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हमारा मध्यम अवधि की वृद्धि दर का अनुमान निवेश चक्र शुरू होने पर निर्भर करेगा।’’
क्रिसिल की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशु सुयश ने कहा, ‘‘शुरुआती संकेतक सकारात्मक हैं। राष्ट्रीय संरचना पाइपलाइन के लिए सरकार के खर्च से मदद मिल रही है। इसके अलावा मांग आधारित पूंजीगत खर्च तथा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना से भी वृद्धि को बढ़ाने में मदद मिलेगी।’’
सुयश ने कहा कि पहली और दूसरी छमाही में वृद्धि की रफ्तार भिन्न रहेगी। पहली छमाही में वृद्धि पिछले साल के निचले आधार प्रभाव की वजह से होगी। वहीं दूसरी छमाही में वृद्धि अधिक व्यापक होगी।
उन्होंने कहा कि दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों अधिक तेजी से आगे बढ़ेंगी। इसके अलावा व्यापक स्तर पर टीकाकरण तथा मजबूत वैश्विक वृद्धि से भी इसमें मदद मिलेगी।
इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया कि अर्थव्यवस्था में सुधार इतना आसान नहीं होगा। छोटे व्यापार और शहरों में रहने वाले गरीब परिवार अभी महामारी के प्रभाव से उबर नहीं पाए हैं। शहरी बाजारों और सेवाओं की स्थिति अभी सुधरी नहीं है, लेकिन ग्रामीण अर्थव्यवस्था ने जुझारू क्षमता दिखाई है।
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