बियानी ने हमसे बात की थी, वे रिलायंस सौदे पर सिंगापुर पंचाट के निर्देश से बंधे हैं:अमेजन

Edited By Updated: 22 Jul, 2021 08:51 PM

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नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) आमेजन ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि फ्यूचर ग्रुप के बियानी परिवार ने कुछ समझौता करने के लिए उसके साथ बातचीत की थी और वह सिंगापुर पंच-निर्णय केंद्र के आपातकालीन पंच (ईए) के उस फैसले को मानने के लिए...

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) आमेजन ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि फ्यूचर ग्रुप के बियानी परिवार ने कुछ समझौता करने के लिए उसके साथ बातचीत की थी और वह सिंगापुर पंच-निर्णय केंद्र के आपातकालीन पंच (ईए) के उस फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं जिसमें फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) को रिलायंस रिटेल के साथ विलय के सौदे पर आगे बढ़ने से रोक लगायी गयी है।

अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी ने न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और बी आर गवई की पीठ के सामने दोहराया कि सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) का एफआरएल को रिलायंस रिटेल के साथ 24,713 करोड़ रुपये के सौदे से रोकने वाला अंतरिम फैसला लागू किया जाना चाहिए।

आमेजन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय ने कहा, "यह बियानी घराने ने ही आमेजन के साथ बातचीत की थी और उसे समझौते करने के लिए राजी किया था ... बियाणी मध्यस्थता में शामिल पक्ष हैं और स्पष्ट रूप से मध्यस्थता समझौते से बंधे हैं।"
आमेजन ने किशोर बियानी और एफआरएल एवं फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड सहित 15 अन्य लोगों को, सौदे को मंजूरी देने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पक्ष बनाया है।

चिनॉय ने कहा, "इस मामले में यह सरासर बेईमानी और व्यावसायिक अनैतिकता है। आप लोगों को समझौता करने के लिए राजी करते हैं, फिर आप इन समझौतों का उल्लंघन करते हैं। जब आपातकालीन पंच के की बात आती है, तो आप पैरवी गुण-दोष के आधार पर नहीं करते।"
उन्होंने साथ ही कहा कि एफआरएल और उसके पदाधिकारियों ने इस मामले में समझौतों का "जानबूझकर और दुर्भावना के साथ" उल्लंघन किया है।

फ्यूचर ग्रुप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने बहस शुरू की और इमरजेंसी आर्बिट्रेटर के फैसले की प्रवर्तनीयता के मुद्दे को छुआ और कहा कि इस पर विधि आयोग की सिफारिश को संसद द्वारा अब तक स्वीकार नहीं किया गया या उसपर कार्रवाई नहीं की गई है।
साल्वे अब 27 जुलाई को अपनी दलीलें पेश करेंगे।

आमजेन ने रिलायंस-एफआरएल सौदे का रास्ता साफ करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय की खंड पीठ के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।



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