Edited By PTI News Agency,Updated: 25 Jul, 2021 06:32 PM
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) देश में 2005-2020 के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं में 10 फीसद की बढ़ोत्तरी की तुलना में जनजातीय क्षेत्रों में इन सुविधाओं में 73 फीसद की वृद्धि हुई। सरकार ने एक आंकड़े में यह खुलासा किया है।
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) देश में 2005-2020 के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं में 10 फीसद की बढ़ोत्तरी की तुलना में जनजातीय क्षेत्रों में इन सुविधाओं में 73 फीसद की वृद्धि हुई। सरकार ने एक आंकड़े में यह खुलासा किया है।
इन आंकड़ों के हिसाब से जनजातीय क्षेत्रों में उपस्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी) की संख्या 2005 की 16,748 से 78 फीसद बढ़कर 2020 में 29,745 हो गयी। इसी दौरान देशभर में एसएचसी की संख्या 1,42,655 बढ़कर 1,55,404 हो गयी।
इन पंद्रह सालों में आदिवासी क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) 2,809 से 50 फीसद बढ़कर 4203 हो गये। हालांकि अखिल भारतीय स्तर पर उनकी संख्या इस दौरान 23,109 से आठ फीसद बढ़कर 24,918 हो गयी।
सरकार का कहना है कि जनजातीय क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) 2005 के 643 से 61 फीसद बढ़कर 2020 में 1035 हो गयी। अखिल भारतीय स्तर पर उनकी संख्या 3222 से बढ़कर 5183 हो गयी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जनजातीय क्षेत्रों को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना में नियमों में ढील दी गयी थी। जनसंख्या नियमों के अनुसार हर 5000 लोगों पर एक एसएचसी, 30,000 आबादी पर एक पीएचसी और एक लाख बीस हजार पर एक सीएचसी होना चाहिए। लेकिन जनजातीय क्षेत्रों के लिए आबादी का आधार क्रमश: 3000, 20,000 और 80,000 है।
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