Edited By PTI News Agency,Updated: 30 Jul, 2021 07:19 PM
नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) को कुतुब मीनार के आसपास निर्माण की जा रही संपत्तियों पर एक रिपोर्ट सौंपने और अपने आयुक्त को उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का भी निर्देश दिया है...
नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) को कुतुब मीनार के आसपास निर्माण की जा रही संपत्तियों पर एक रिपोर्ट सौंपने और अपने आयुक्त को उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का भी निर्देश दिया है जिन्होंने अवैध और अनधिकृत निर्माण की अनुमति दी है।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने एसडीएमसी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अवैध रूप से निर्मित किसी भी संपत्ति पर कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जाये और सुनवाई की अगली तारीख 20 अगस्त को उपायुक्त (दक्षिण क्षेत्र) को उनके समक्ष पेश होने के निर्देश दिये।
न्यायालय ने कहा, ‘‘कुतुब मीनार के आसपास गैर कानूनी ढंग से बनाई जा रही संपत्तियों के पूरे विवरण के साथ एक स्थिति रिपोर्ट को तस्वीरों के साथ दाखिल किया जाए।’’
न्यायाधीश ने 29 जुलाई को दिये अपने आदेश में कहा, ‘‘नगर निगम आयुक्त (दक्षिण क्षेत्र), दिल्ली को संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया जाता है, जो क्षेत्र की निगरानी करने वाले थे और जिन्होंने इन अवैध / अनधिकृत निर्माणों को करने की अनुमति दी है और एक रिपोर्ट दाखिल की जाये।’’
अदालत ने यह आदेश रिंकू कौशिक की याचिका पर दिया। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि विश्व धरोहर स्थल कुतुब मीनार से सटी भूमि पर विशाल अवैध और अनधिकृत कॉलोनी विकसित की जा रही है, और महरौली में कई बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि अदालत के बार-बार निर्देशों के बावजूद, एसडीएमसी ने अवैध और अनधिकृत निर्माण करने की अनुमति दी। एसडीएमसी ने कहा कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पहले ही हो चुकी है। अदालत ने कहा कि आगे निर्माण अभी भी किया गया है और कुछ इमारतों पर कब्जा होने की प्रक्रिया में है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।