बाबुल सुप्रियो ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया

Edited By PTI News Agency,Updated: 19 Oct, 2021 08:45 PM

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नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (भाषा) भाजपा के पूर्व नेता बाबुल सुप्रियो ने मंगलवार को लोकसभा की सदस्यता से औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया । बाबुल सुप्रियो ने एक महीने पहले भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था ।

नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (भाषा) भाजपा के पूर्व नेता बाबुल सुप्रियो ने मंगलवार को लोकसभा की सदस्यता से औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया । बाबुल सुप्रियो ने एक महीने पहले भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था ।
सुप्रियो ने अपने प्रति विश्वास व्यक्त करने के लिये पूर्व पार्टी भाजपा को आभार प्रकट किया । सुप्रियो ने अपने पत्र में अपनी ‘नयी यात्रा’ के लिये बिरला का आशीर्वाद मांगा ।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर इस्तीफा देने के बाद बाबुल सुप्रियो ने संवाददताओं से कहा, ‘‘ मेरा दिल भारी है क्योंकि मैंने अपना राजनीतिक जीवन भाजपा से शुरू किया था । मैं प्रधानमंत्री, पार्टी अध्यक्ष और अमित शाह को धन्यवाद देता हूं । उन्होंने मुझमें विश्वास दिखाया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने पूरी तरह से राजनीति छोड़ दी थी। मैंने सोचा कि अगर मैं पार्टी का हिस्सा नहीं हूं तब मुझे सीट नहीं रखनी चाहिए। ’’
उन्होंने कहा कि सांसद के तौर पर प्राप्त अनुभव, ज्ञान और अंतर्दृष्टि के लिए वे हमेशा आभारी रहेंगे और यह उन्हें आने वाले वर्षो में भी बाहर की दुनिया में एक व्यक्ति के रूप में मदद करेगा ।

सुप्रियो ने कहा कि संसद में बिताया सात वर्षो का समय काफी सार्थक रहा । उन्होंने कहा कि वह देश की सेवा का मौका देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के आभारी हैं ।

उन्होंने कहा कि उन्हें इस ऐतिहासिक धरोहर (संसद) के गलियारे में आने पर गर्व है जिसने अनेक स्वप्नदर्शी नेता, राजनेता, स्वतंत्रता सेनानियों को देखा जिन्होंने हमारी मातृभूमि के इतिहास का सृजन किया और सुरक्षित एवं शानदार इतिहास का मार्ग प्रशस्त किया ।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब पश्चिम बंगाल के आसनसोल से दो बार के सांसद ने तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के दो दिन बाद 20 सितंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर समय मांगा था ताकि वे सदन से औपचारिक रूप से इस्तीफा दे सकें।
बाबुल सुप्रियो ने कई बार कहा था कि जिस पार्टी से वे इस सीट पर विजयी हुए, उस पार्टी के अब सदस्य नहीं हैं, ऐसे में सांसद नहीं रहना चाहते हैं।


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