तीन कृषि कानूनों को खत्म करने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी, 12 रास सदस्य निलंबित

Edited By Updated: 29 Nov, 2021 06:37 PM

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नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को विपक्ष के शोरगुल के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को खत्म करने संबंधी एक विधेयक बिना चर्चा के दोनों सदनों में पारित हो गया जबकि राज्यसभा में पिछले मानसून सत्र में...

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को विपक्ष के शोरगुल के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को खत्म करने संबंधी एक विधेयक बिना चर्चा के दोनों सदनों में पारित हो गया जबकि राज्यसभा में पिछले मानसून सत्र में ‘‘अशोभनीय आचरण’’ के कारण 12 विपक्षी सदस्यों को वर्तमान सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण आज लोकसभा को दो बार एवं राज्यसभा को चार बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को दोनों सदनों में पेश किया। उन्होंने राज्यसभा में कहा, ‘‘ सरकार और विपक्षी दल दोनों ही इन कानूनों की वापसी चाहते हैं इसलिए कृषि कानून निरसन विधयक पर कोई चर्चा करने की जरूरत नहीं है।’’
लोकसभा में इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित कराये जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज सदन में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस विधेयक को चर्चा के बाद पारित कराने की बात कही गई लेकिन इस पर सरकार चर्चा क्यों नहीं करना चाहती है?
जब विपक्षी सदस्यों ने निरसन विधेयक पर चर्चा कराये जाने की मांग की तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं है और इस हालात में चर्चा कैसे करायी जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘आप (विपक्षी सदस्य) व्यवस्था बनायें तब चर्चा करायी जा सकती है।’’
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने निरस्त किए जा रहे तीनों कानूनों को ‘‘काला कानून’’ करार देते हुए कहा, ‘‘एक साल तीन महीने के बाद आपको (सरकार) ज्ञान प्राप्त हुआ और आपने कानूनों को वापस लेने का फैसला किया।’’
उन्होंने कहा कि इस किसान आंदोलन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सभी लोग जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि जब इस विधेयक का प्रस्ताव आया था विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), किसान संगठनों ने भी इसका विरोध किया गया था।
खड़गे ने कहा, ‘‘इसे वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा था और सारे देश में इन कानूनों के खिलाफ माहौल बन गया तथा उपचुनावों में इसका प्रभाव दिखा। अब पांच राज्यों में चुनाव हैं। उपचुनाव में ऐसे परिणाम हैं तो पांच राज्यों में परिणाम क्या होंगे। 700 किसान मर चुके हैं।’’
इससे पहले कृषि मंत्री तोमर ने तीन कृषि काननों की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद किसानों के कल्याण के लिए इन कानूनों को लेकर आई थी। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन दुख की बात है कि कई बार प्रयत्न करने के बावजूद वह किसानों को समझा नहीं सकी।’’
कृषि मंत्री तोमर ने कांग्रेस पर दोहरा रूख अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी दल ने अपने घोषणापत्र में कृषि सुधारों का वादा किया था । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरू नानक जयंती पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर बड़ा दिल दिखाया और यह उनकी कथनी और करनी में एकरूपता का परिचायक है।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 लाई थी। कई किसान संगठनों के करीब एक साल के आंदोलन के बाद सरकार ने इन कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया।

दोनों सदनों में शून्यकाल एवं प्रश्नकाल सामान्य ढंग से नहीं चल पाया।

राज्यसभा में आज संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने के लिए वर्तमान शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के दौरान उच्च सदन से निलंबित किए जाने का प्रस्ताव रखा।
प्रस्ताव के तहत कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रुपिन बोरा, सैयद नासिर हुसैन, राजमणि पटेल, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन, शांता क्षेत्री, माकपा के इलामारम करीब, भाकपा के विनय विश्वम, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई को शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के दौरान उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया।

इन सदस्यों पर आरोप है कि मानसून सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान इन्होंने अमर्यादित आचरण एवं मार्शलों के साथ धक्का-मुक्की की थी।इन आरोपों के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की थी।

समिति की सिफारिशों के आधार पर इन सांसदों के खिलाफ आज कार्रवाई की गई।

शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस की प्रतिभा सिंह और भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल ने लोकसभा की सदस्यता तथा कांग्रेस की रजनी पाटिल, द्रमुक की कनिमोझी एन.वी.एन सोमू, के.आर.एन. राजेश कुमार और एम.एम.अब्दुल्ला, तृणमूल कांग्रेस के लुइजिन्हो फालेयरो ने राज्यसभा की सदस्यता की शपथ ली।

इससे पहले सभापति एम वेंकैया नायडू ने बैठक शुरू होने पर राज्यसभा के नए महासचिव पी सी मोदी का सदस्यों से परिचय कराया। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद चंद्र मोदी ने 12 नवंबर को राज्यसभा के नए महासचिव का पदभार ग्रहण किया।

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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