पंजाब की किसान यूनियनों ने गेहूं के निर्यात पर रोक को ‘किसान-विरोधी’ फैसला करार दिया

Edited By PTI News Agency,Updated: 16 May, 2022 05:19 PM

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चंडीगढ़, 16 मई (भाषा) पंजाब की किसान यूनियनों ने केंद्र के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले को ‘‘किसान विरोधी’’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कदम उठाकर केंद्र सरकार उन्हें विदेशी बाजारों में अपनी फसल के लिए ऊंचा दाम हासिल करने से रोक रही...

चंडीगढ़, 16 मई (भाषा) पंजाब की किसान यूनियनों ने केंद्र के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले को ‘‘किसान विरोधी’’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कदम उठाकर केंद्र सरकार उन्हें विदेशी बाजारों में अपनी फसल के लिए ऊंचा दाम हासिल करने से रोक रही है।
मार्च में भीषण गर्म के कारण दानों के सिकुड़ने की वजह से कम उत्पादन होने के कारण किसानों ने उपज में गिरावट की भरपाई के लिए सरकार से 500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बोनस देने की मांग की थी। किसानों ने सरकार द्वारा बोनस की घोषणा नहीं करने की भी आलोचना की है।
केंद्र सरकार ने इस साल कम गेहूं उत्पादन की चिंताओं के बीच ऊंची कीमतों पर लगाम लगाने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
सरकार का मानना है कि इस फैसले से गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, जो पिछले एक साल में औसतन 14-20 प्रतिशत बढ़ी हैं। साथ ही सरकार का यह भी मानना है कि इस कदम से पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकता को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
किसानों ने कहा कि पंजाब में कई किसानों विशेष रूप से बड़े गेहूं उत्पादकों ने बाद में अधिक रिटर्न प्राप्त करने की उम्मीद में फसल का भंडारण किया है।
भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने सोमवार को कहा, ‘‘यह किसान विरोधी फैसला है।’’ उन्होंने कहा कि निर्यात प्रतिबंध उन किसानों को प्रभावित करेगा जिन्होंने घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि होने पर अधिक लाभ प्राप्त करने की उम्मीद में फसल का भंडारण किया था।
भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने भी केंद्र सरकार के फैसले की निंदा की।
लखोवाल ने कहा, ‘‘यह निर्णय किसानों के हित में नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक कीमतों का लाभ उठाने के लिए निर्यात जारी रखना चाहिए था।
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने रविवार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले की आलोचना करते हुए कहा था कि इस कदम से फसल की मांग में गिरावट आएगी और किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा।
पंजाब सरकार ने रविवार को राज्य की 232 मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद 31 मई तक जारी रखने का आदेश दिया।
राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारुचक ने रविवार को कहा कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध से घरेलू बाजार में खाद्यान्न की कीमतों में गिरावट की संभावना है।
पंजाब से गेहूं की खरीद भी कम उपज के कारण 132 लाख टन के लक्ष्य से कम रहने की संभावना है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अबतक 102.27 लाख टन अनाज की मंडियों में हुई आवक में से, सरकारी खरीद एजेंसियों ने 96.17 लाख टन गेहूं खरीदा है, जबकि निजी व्यापारियों ने 6.10 लाख टन की खरीद की है।
पंजाब रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश घई ने हालांकि केंद्र के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि निर्यात पर प्रतिबंध से गेहूं की कीमतों को स्थिर करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और अन्य राज्य की मंडियों में गेहूं की कीमत बढ़कर 2,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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