खनन पट्टे के मामले में भाजपा ने सोरेन को अयोग्य करार देने की मांग की, निर्वाचन आयोग में सुनवाई हुई

Edited By PTI News Agency,Updated: 28 Jun, 2022 09:56 PM

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नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) भाजपा के अधिवक्ताओं ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग से एक खनन पट्टे के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य करार दिये जाने की मांग की।

नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) भाजपा के अधिवक्ताओं ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग से एक खनन पट्टे के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य करार दिये जाने की मांग की।

भाजपा ने कहा कि सोरेन ने पद पर रहते हुए एक सरकारी ठेके के संबंध में खुद को लाभ पहुंचाकर चुनाव संबंधी एक कानून के प्रावधान का उल्लंघन किया है।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुबर दास ने सोरेन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने पास खनन विभाग होने के बावजूद रांची जिले में अपने नाम पर एक पत्थर खुदाई के पट्टे के लिए ‘सैद्धांतिक मंजूरी’ दिलाने में ‘पद का दुरुपयोग’ किया। इसमें भ्रष्टाचार और हितों के टकराव की बात कही गयी है।

भारतीय निर्वाचन आयोग ने मई में सोरेन को नोटिस भेजकर इस मुद्दे पर उनका पक्ष पूछा था।

आरोप हैं कि पट्टे का स्वामित्व होना जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन है।

हालांकि सोरेन के वकीलों ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए इस मामले में लागू नहीं होती और उन्होंने इस बाबत उच्चतम न्यायालय की एक व्यवस्था का हवाला दिया।

इस तरह के मामलों में अर्द्ध-न्यायिक इकाई के रूप में काम करने वाले निर्वाचन आयोग के समक्ष दलीलें देते हुए याचिकाकर्ता भाजपा के वकीलों ने दलील दी कि सोरेन को अयोग्य करार दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अपने हस्ताक्षर से खुद को पट्टा दिलाया।

भाजपा द्वारा रखी गयी दलीलों के बारे में संवाददाताओं को बताते हुए अधिवक्ता कुमार हर्ष ने कहा कि यह अयोग्य करार दिये जाने का मामला बनता है और इसमें भ्रष्टाचार हुआ है।

आयोग ने झारखंड के राज्यपाल द्वारा प्रेषित संदेश के बाद मई में सोरेन को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए के तहत नोटिस भेजा था जो सरकारी ठेकों के लिए किसी जन प्रतिनिधि को अयोग्य करार दिये जाने से संबंधित है।

कुमार हर्ष के अनुसार सोरेन के पक्ष ने दलीलें पूरी करने के लिए और समय मांगा है। उन्होंने कहा, ‘‘आयोग ने निराशा जताते हुए उनसे दलीलें शुरू करने को कहा। उन्होंने महज दो मिनट के लिए अपना रुख रखा और फिर से समय मांगा।’’
हालांकि सोरेन पक्ष के वकील एस के मेंदीरत्ता ने उनके दावे को खारिज कर दिया। मेंदीरत्ता 50 साल से अधिक समय तक निर्वाचन आयोग में सेवाएं दे चुके हैं।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने समय नहीं मांगा। हमने कहा कि उन्होंने दो घंटे लिये हैं तो हम भी दो या ढाई घंटे लेना चाहेंगे। उन्होंने (आयोग ने) कहा कि हम अगली तारीख पर आपका पक्ष सुनेंगे।’’
मेंदीरत्ता ने कहा कि प्रतिवादी (सोरेन) का मत है कि यह उच्चतम न्यायालय का फैसला है कि इस तरह के मामलों में धारा 9ए लागू नहीं होती। उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग को निर्णय लेना होगा। उन्होंने कहा है कि यह अयोग्य करार दिये जाने का मामला है। लेकिन हमने कहा कि धारा 9ए लागू नहीं होती।’’
आयोग मामले में सुनवाई की अगली तारीख बाद में बताएगा। सोरेन को आयोग ने सुनवाई शुरू करने के लिए पहले दो बार समय दिया है।


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