महाराष्ट्र संकट: शिवसेना की याचिका पर उच्चतम न्यायालय रात नौ बजे फैसला सुनाएगा

Edited By PTI News Agency,Updated: 29 Jun, 2022 09:09 PM

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नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उस निर्देश के खिलाफ शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की याचिका पर रात नौ बजे फैसला सुनाएगा, जिसमें उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को...

नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उस निर्देश के खिलाफ शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की याचिका पर रात नौ बजे फैसला सुनाएगा, जिसमें उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को बृहस्पतिवार को विधानसभा में शक्ति परीक्षण के लिए कहा गया है।
शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उद्धव ठाकरे नीत खेमा पार्टी के अंदर ही अल्पमत में है और विधानसभा में शक्ति परीक्षण विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
शिंदे के वकील ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की अवकाशकालीन पीठ से कहा कि शक्ति परीक्षण में किसी तरह का विलंब होने से लोकतांत्रिक राजनीति को और नुकसान होगा।
शिंदे की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन.के. कौल ने दलील दी कि स्पीकर के समक्ष (बागी विधायकों की) अयोग्यता कार्यवाही का लंबित रहना शक्ति परीक्षण में विलंब करने का कोई आधार नहीं है।
कौल ने पीठ से कहा, ‘‘लोकतंत्र की प्रक्रिया सदन के पटल पर होती है और यही चीज किये जाने की मांग की जा रही है। ’’
कौल ने दलील दी, ‘‘सदन की रहने दीजिए, वे(उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना) पार्टी के अंदर ही अल्पमत में हैं।’’ उन्होंने कहा कि उभरती स्थिति शक्ति परीक्षण की आवश्यकता बताती है और राज्यपाल ने अपने विवेकाधिकार से यह कराने का फैसला किया है।
शिंदे के वकील ने न्यायालय से कहा, ‘‘आज हम शिवसेना नहीं छोड़ रहे हैं। हम शिवसेना हैं। हमारे पास शिवसेना के 55 में से 39 विधायक हैं।’’
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि सदन का पटल ही लोकतंत्र के इन मुद्दों का हल करने के लिए एकमात्र रास्ता है।’’
सिंघवी ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि जिन लोगों ने पाला बदल लिया है वे जनता की इच्छा को प्रदर्शित नहीं करते हैं और यदि कल शक्ति परीक्षण नहीं कराया जाता है तो कोई आपदा नहीं आ जाएगी।
उन्होंने दलील दी कि न्यायालय को उस वक्त तक शक्ति परीक्षण की अनुमति नहीं देनी चाहिए जब तक कि डिप्टी स्पीकर कुछ बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं कर लेते हैं।
सिंघवी ने कहा कि शक्ति परीक्षण अतिशीघ्र कराने का आदेश चीजों को गलत तरीके से या गलत क्रम में करने जैसा है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो विधायक कोरोना वायरस से संक्रमित हैं जबकि कांग्रेस के दो विधायक विदेश में हैं और उनसे बृहस्पतिवार को शक्ति परीक्षण में हिस्सा लेने को कहा गया है।
सिंघवी ने कहा कि शक्ति परीक्षण कराने का मतलब संविधान की 10वीं अनुसूची को निष्क्रिय करने जैसा होगा।
पीठ ने कहा कि 10वीं अनुसूची कड़े प्रावधानों वाला है और न्यायालय को इसे मजबूत करना चाहिए।
विषय की सुनवाई जारी है।
गौरतलब है कि राज्यपाल कोश्यारी ने महाराष्ट्र के विधानभवन के सचिव को बृहस्पतिवार पूर्वाह्न 11 बजे एमवीए सरकार का शक्ति परीक्षण कराने को कहा है।


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