जामिया शिक्षक संघ ने नए अवकाश नियम, संकाय सदस्यों को जारी कारण बताओ नोटिस वापस लेने की मांग की

Edited By PTI News Agency,Updated: 16 Aug, 2022 05:29 PM

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नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शिक्षक संघ ने एक प्रस्ताव पारित कर विश्वविद्यालय के अवकाश संबंधी नए नियमों और विश्वविद्यालय की सालाना रिपोर्ट का अनुवाद करने से इनकार करने पर हिंदी विभाग के कुछ संकाय सदस्यों को कारण...

नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शिक्षक संघ ने एक प्रस्ताव पारित कर विश्वविद्यालय के अवकाश संबंधी नए नियमों और विश्वविद्यालय की सालाना रिपोर्ट का अनुवाद करने से इनकार करने पर हिंदी विभाग के कुछ संकाय सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का विरोध किया है और इन्हें वापस लेने की मांग की है।

जामिया शिक्षक संघ (जीटीए) ने तीन अगस्त को हुई अपनी आम सभा की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया और कई मांगों को सामने रखा जिनमें शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के मामले की तफ्तीश के लिए एक
जांच समिति की मांग शामिल है।

विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से मंगलवार को कहा कि जीटीए को आम सभा की बैठक बुलाने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, क्योंकि उसका कार्यकाल इस साल मई में खत्म हो चुका है।

अपनी आम सभा में जीटीए ने नए नियमों को वापस लेने की मांग की है।

बैठक के कार्यविवरण के मुताबिक, “ हाल में लागू किए गए अवकाश संबंधी नए नियम प्रतिगामी हैं और विभिन्न शिक्षण, शोध और विस्तारित गतिविधियों में शिक्षकों के प्रतिभाग को प्रभावित करेंगे।”
शिक्षक संघ ने उस विशेष आदेश को भी वापस लेने की मांग की जिसे कोविड-19 महामारी के दौरान जारी किया गया था।

उसमें कहा गया है कि नियमित शैक्षणिक पंचांग जारी किया जाना चाहिए जिसमें दो महीने (16 मई से 15 जुलाई तक) गर्मियों की और सर्दियों (24 दिसंबर से 15 जनवरी तक) की छुट्टियां हों।

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि छा‍त्रावास और कैंटीन को भी तत्काल प्रभाव से खोला जाए, क्योंकि यह शिक्षण प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।

जीटीए ने दावा किया कि हिंदी विभाग के आठ शिक्षकों को ‘बेजा’ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

बैठक के मिनट के मुताबिक, आम सभा ने इन कारण बताओ नोटिस को तत्काल रद्द करने की मांग की है।

जीटीए ने यह भी मांग की है कि इन शिक्षकों को जारी कारण बताओ नोटिस की तफ्तीश करने के लिए एक जांच समिति गठित की जाए जिनमें शिक्षक संघ के प्रतिनिधि भी शामिल हों।

इसने लंबित आर्थिक मामलों का भी जल्द समाधान करने की मांग की है।

उसमें कहा गया है कि मामले चिकित्सा बिल, परीक्षा बिल और सेवानिवृत्ति के लाभों से संबंधित हैं जिनमें काफी कटौती की गई है और उन्हें उसी स्थिति में बहाल करना चाहिए जैसे वे कोविड महामारी से पहले थे।

वित्तीय अधिकारी, परीक्षक नियंत्रक और कुल सचिव जैसे पदों पर कथित रिक्तियों पर चिंता जताते हुए जीटीए ने कहा है कि इन पदों के खाली रहने की वजह से विश्वविद्यालय का कामकाज प्रभावित हो रहा है।

दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि कई शिक्षकों ने आम सभा को लेकर आपत्ति जताई है और बैठक में उपस्थिति भी कम थी।

हिंदी विभाग के शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने पर अधिकारी ने कहा, “ हर साल हिंदी विभाग विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करता है। कुछ शिक्षकों ने बैठक की और कहा कि वे उन्हें सौंपा गया काम नहीं करेंगे। इस वजह से प्रशासन ने उन्हें नोटिस जारी कर इस बारे में सवाल पूछे हैं।”
अधिकारी ने जामिया में किसी भी पद के रिक्त होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा, “ कोई भी पद खाली नहीं है और इन सभी पदों पर योग्य लोग काम कर रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय ने अभी गैर शिक्षण भर्ती नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया है और हम इसका इंतजार कर रहे हैं।”


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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