भादों में श्री कृष्ण का मोर पंख दिलाएगा दुर्भाग्य से मुक्ति, लॉकर भरने के लिए करें प्रयोग

Edited By ,Updated: 17 Aug, 2016 03:21 PM

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देवी सरस्वती और देवताओं के सेनापति व भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय स्वामी का वाहन मयूर पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। मोरपंख को भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सिर पर धारण भी किया हुआ है। मान्यतानुसार मोर की दृष्टि से समस्त सृष्टि संचालित होती है अतः...

देवी सरस्वती और देवताओं के सेनापति व भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय स्वामी का वाहन मयूर पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। मोरपंख को भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सिर पर धारण भी किया हुआ है। मान्यतानुसार मोर की दृष्टि से समस्त सृष्टि संचालित होती है अतः ब्रह्मचर्य साधकों हेतु मोरपंख संयम प्रेरणा है। शास्त्रीय मान्यतानुसार मोर उमंग, उल्लास व आनंद का प्रतीक माना जाता है। भारतीय दार्शनिक शास्त्र में मन की तुलना मोर से की जाती है क्योंकि नीरसता हटाकर सरसता लाने की वृत्ति ही आनंद है अतः मोर आनद का प्रतीक भी है। इंद्रदेव का मोरपंख के सिंहासन पर बैठना व महर्षियों का मोरपंख की कलम से शास्त्र लिखना, ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो मोरपंख की श्रेष्ठता को सिद्ध करते हैं। धार्मिक व ज्योतिष शास्त्रों में भी मोर के पंख को प्रमुख स्थान प्राप्त है। वास्तुशास्त्र के अनुसार भी मोर वस्तु व स्थान के नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति को बचाकर रखता है। इस लेख में हम आपको भादों माह में मोरपंख का क्या महत्व है इसकी विशिष्ट जानकारी व उपाय बता रहे हैं।
 
शत्रुता मिटाने के लिए: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मोरपंख का संबंध बुध ग्रह से है। कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार कुंडली में छठे भाव पर बुध का संचालन होता है अतः किसी जातक की कुंडली में अगर केतू अथवा गुरु छठे भाव में आ जाएं तो शत्रु ज्यादा तंग करते हैं। ऐसे में मोरपंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से शनिवार रात्रि में उस शत्रु का नाम लिखकर रात में घर के पूजास्थल में रखकर सुबह पानी में बहा देने से शत्रु-शत्रुता छोड़कर मित्रता का व्यवहार करने लगता है।
 
कालसर्प दोष के निवारण हेतु: जिन लोगों की कुण्डली में राहू-केतु कालसर्प योग का निर्माण कर रहे हों उन्हें अपने तकिये के खोल में 7 मोर पंख सोमवार की रात्रि में डालकर उस तकिये का उपयोग करना चाहिए साथ ही शयनकक्ष की पश्चिम दिशा की दीवार पर मोर पंखों का पंखा जिसमें कम से कम 11 मोर पंख लगे हों लगा देना चाहिए। इससे कुण्डली में अच्छे ग्रह अपना शुभ प्रभाव देने लगेंगे और राहू-केतु का अशुभत्व कम हो जायेगा। 
 
अमंगल मिटाने के लिए: जीवन के अमंगलों को हटाकर मंगलमय स्थिति करने के लिए सर्वाधिक बलवान मंगल ग्रह को माना जाता है। कुंडली में तीन ग्रह शनि राहू और केतू ऐसे घर हैं जो व्यक्ति के जीवन में अमंगल लाते हैं। किसी भी मंगलवार को अभिजीत महूर्त में हनुमान जी पर 13 मोरपंख चढ़ाकर घर लें आएं तथा इसे घर की दक्षिण दिशा में इस प्रकार रखें की यह सभी को दिखाई दे।
 
राहू-केतू ग्रह की शांति के लिए: ज्योतिषशास्त्रों में सर्प को राहू-केतू से जोड़कर देखा जाता है तथा राहू-केतू मिलकर कालसर्प दोष का निर्माण करते हैं अतः ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में राहू, केतू की स्थिति अशुभ अथवा जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष हो उन्हे मोरपंख सदैव अपने साथ रखना चाहिए।
 
धन वृद्धि के लिए: श्री राधा-कृष्ण के मुकुट में मोरपंख चढ़ाकर तथा मोरपंख को लाकर अपनी तिजोरी या लॉकर में स्थापित करें। धन-संपत्ति में वृद्धि होना प्रारम्भ हो जाएगा। सभी प्रकार के रुके हुए कार्य भी इस प्रयोग से बन जाते हैं।
 
संकटों के मुक्ति के लिए: जीवन में मोरपंख से कई तरह के संकट दूर किये जा सकते हैं। अचानक कष्ट या विपत्ति आने पर घर या शयनकक्ष के अग्निकोण में मोरपंख लगाएं। थोड़े ही समय में सकारात्मक असर होगा।
 
नजर दोष से मुक्ति के लिए: अगर आपके बच्चे को बार-बार किसी की नज़र लग जाती है तो उसे नित्य मोरपंखों से बने पंखे से हवा करनी चाहिए या अपने सीलिंग फैन पर ही मोर पंख पंखुड़ियों पर चिपका देना चाहिए।
 
बच्चों के डर से मुक्ति के लिए: नवजात शिशु के सिरहाने चांदी के तावीज में एक मोर पंख भरकर रखने से शिशु को डर नहीं लगता। सुख-समृद्धि के लिए: मोरपंख को पूजा घर में रखने से घर की सुख-समृद्धि में भी बढ़ौतरी होती है।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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