Edited By PTI News Agency,Updated: 13 May, 2022 10:29 PM
कोलकाता, 13 मई (भाषा) यहां की एक सांसद/विधायक अदालत ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष को आठ साल पहले सारदा चिटफंड घोटाले के सिलसिले में एक जेल में बंद रहने के दौरान आत्महत्या करने के प्रयास का दोषी ठहराया।
कोलकाता, 13 मई (भाषा) यहां की एक सांसद/विधायक अदालत ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष को आठ साल पहले सारदा चिटफंड घोटाले के सिलसिले में एक जेल में बंद रहने के दौरान आत्महत्या करने के प्रयास का दोषी ठहराया।
अदालत ने हालांकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रवक्ता को इस मामले में कोई सजा नहीं सुनाई।
दस नवंबर 2014 को अदालत में पेशी के दौरान उस समय राज्यसभा सदस्य रहे घोष ने धमकी दी थी कि यदि सीबीआई ने करोड़ों रुपये के घोटाले में वास्तव में शामिल रहे उनके द्वारा बताए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो वह आत्महत्या कर लेंगे।
तीन दिन बाद, उन्होंने प्रेसिडेंसी सुधार गृह में नींद की गोलियां खा ली थीं। सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में उनका इलाज किया गया था।
सुधार गृह के अधिकारियों ने घोष के खिलाफ भादंसं की धारा 309 के तहत आत्महत्या के प्रयास के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें एक साल तक के साधारण कारावास या जुर्माने का प्रावधान है।
सांसद/विधायक अदालत के न्यायाधीश मनोज्योति भट्टाचार्य ने घोष को आत्महत्या के प्रयास का दोषी पाया, लेकिन उचित चेतावनी के बाद उन्हें रिहा कर दिया।
न्यायाधीश ने कहा कि घोष पेशे से पत्रकार हैं और घटना के समय वह राज्यसभा सदस्य थे तथा उन्हें संवेदनशील सारदा चिटफंड मामले में नामजद किया गया था।
पीठ ने कहा, "किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के लिए यह बहुत सामान्य है कि ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज होने पर उसे जीवन में गंभीर तनाव का सामना करना पड़ता है।"
आदेश के बाद, घोष ने कहा कि अदालत द्वारा उन्हें दोषी ठहराए जाने के उपरांत अब कोई भी यह नहीं कहेगा कि उन्होंने नाटक किया था और वास्तव में आत्महत्या का प्रयास नहीं किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘कुणाल घोष अपनी जान जोखिम में डालकर भी अपनी लड़ाई जारी रखेगा।’’
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