‘प्रदूषण की राजधानी’ बनी दिल्ली और अब पंजाब भी बढ़ रहा है इस ओर

Edited By ,Updated: 19 Jan, 2017 11:22 PM

delhi became the capital of pollution

पिछले कुछ वर्षों से प्रदूषण विश्व में बहुत बड़ी समस्या बन गया है और भारत में तेजी से हो रहा शहरीकरण, बिजली उत्पादन के लिए कोयला आधारित...

पिछले कुछ वर्षों से प्रदूषण विश्व में बहुत बड़ी समस्या बन गया है और भारत में तेजी से हो रहा शहरीकरण, बिजली उत्पादन के लिए कोयला आधारित संयंत्रों, डीजल चालित वाहनों तथा इंजनों का धुआं और निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल सहितअनेक कारण इसके लिए जिम्मेदार हैं।

नदी-नालों में डाले जाने वाले कल-कारखानों एवं चमड़ा उद्योग के कचरे और विषैले रासायनिक पदार्थ तथा वायुमंडल में छोड़ी जाने वाली विषैली औद्योगिक गैसें जानलेवा सिद्ध हो रही हैं। किसानों द्वारा फसलों के अधिक झाड़ के लिए कीटनाशकों व रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग, खेतों में पराली जलाने और लकड़ी एवं कोयले के चूल्हों के धुएं ने भी भारत में प्रदूषण को ङ्क्षचताजनक बना दिया है।

हालत यह बन गई है कि लोगों को जिंदा रहने के लिए स्वच्छ पानी और हवा का मिलना भी मुश्किल हो गया है। सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा तक न मिलने से लोगों को तरह-तरह की बीमारियां लग रही हैं। विशेष रूप से लकड़ी एवं कोयले के चूल्हों से निकलने वाला धुआं महिलाओं और बच्चों के लिए जानलेवा सिद्ध हो रहा है। देश में प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख लोग वायु प्रदूषण के चलते मौत के मुंह में जा रहे हैं और यह संख्या चीन में प्रदूषण से होने वाली मौतों से भी अधिक है

हवा में घुलता जहर कितना बड़ा खतरा बन चुका है यह इसी से स्पष्टï है कि इससे देश के जी.डी.पी. में  3 प्रतिशत तक की हानि हो रही है। अकेले दिल्ली व मुम्बई में ही 2015 में वायु प्रदूषण से लगभग 80,665 लोग मारे गए और इससे पैदा समस्याओं से निपटने में सरकार को 70,000 करोड़ रुपए अर्थात जी.डी.पी. का 0.71 प्रतिशत हिस्सा खर्च करना पड़ा। विश्व स्वास्थ्य संगठन और ‘नैशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी’ (एन.ए.ए.क्यू.) द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार, ‘‘भारत में क्रियात्मक रूप से ऐसा कोई भी स्थान नहीं है जहां स्वच्छ हवा उपलब्ध हो।’

देश के 24 राज्यों और 168 शहरों में वायु गुणवत्ता की जांच से पता चला कि दक्षिण भारत में कुछ स्थानों के सिवाय, देश भर में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर से स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है। इस संबंध में ‘ग्रीन पीस रिपोर्ट’ के अनुसार,‘‘देश की राजधानी दिल्ली सर्वाधिक प्रदूषित है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तो 2014 में ही इसे ‘देश की प्रदूषण राजधानी’ करार दे दिया था।’’ इसी प्रकार पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘‘लुधियाना, अमृतसर और जालंधर आदि में वायु प्रदूषण अत्यंत ङ्क्षचताजनक स्तर पर पहुंचा हुआ है।’’

विश्व संगठन के अनुसार, ‘‘विश्व में प्रदूषण फैलाने में पंजाब के शहर लुधियाना, खन्ना, अमृतसर और मंडी गोङ्क्षबदगढ़ देश के अन्य सभी राज्यों से अधिक योगदान कर रहे हैं।’’  इसके अलावा सड़कें चौड़ी करने के लिए हजारों की संख्या में वृक्षों की कटाई के चलते भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। राज्य के गांवों और शहरों में गंदे पानी की निकासी के लिए सीवरेज पाइप डालने के लिए चुने गए  200 स्थानों में से मात्र 62 स्थानों पर ही काम पूरा हो सका है। लुधियाना के बुड्ढïा नाला और काला संघियां (जालंधर) के ड्रेन बंद पड़े हैं जिससे प्रदूषण की समस्या और बढ़ रही है।

वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य और सांस लेने की प्रणाली पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव को देखकर ही 17 जनवरी को सुप्रीमकोर्ट ने देश में वायु प्रदूषण को अत्यंत गंभीर बताते हुए इसके लिए हमारी शासन प्रणाली और प्रदूषण की रोकथाम संबंधी नियमों को लागू न करवाने वाली मशीनरी को जिम्मेदार ठहराया। इस खतरे का सामना करने के लिए वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बनने वाले उद्योगों पर प्रदूषक तत्व वायु और पानी में छोडऩे के नियमों को सख्त बनाने, पेड़ काटने व खेतों में पराली आदि जलाने का रुझान रोकने, इसके लिए जिम्मेदार लोगों व अधिकारियों के लिए कड़े दंड की व्यवस्था तुरंत करने तथा प्रदूषण नियंत्रण नियमों के क्रियान्वयन पर बल देना होगा। इसके साथ ही चीन की शैली पर प्रदूषण फैलाने वालों पर नजर रखने के लिए ‘पर्यावरण पुलिस दस्ते’ बनाने की भी आवश्यकता है जो दोषियों को पकड़ कर उन्हें उचित दंड दिलवाएं।     —विजय कुमार  
 

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