प्रधुय्मन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Sep, 2017 12:15 PM

pradhayamana

कभी गोद में तो कभी कंधे ...

कभी गोद में तो कभी कंधे पर 
उस पिताह ने अपने बच्चे को घुमाया होगा
कभी डॉक्टर तो कभी वक़ील बनाने का
सपना सजाया होगा 
उस मासूम की मासूमियत को
कई बार केमरे में छिपाया होगा
दिन रात मेहनत कर उस पिताह ने
इतना पैसा कमाया होगा 
अपने बच्चे के अड्मिशन के लिए 
जाने कितने स्कूलों में फ़ोरम लगाया होगा,

पर क्या पता था उसको कि 
रयान बन आएगा काल 
भविष्य का मंदिर ही बनेगा 
उसकी मौत का जंजाल
महज बीस मिनट का 
तो वक्त हुआ था 
अगले ही पल उसके हाथ में 
उसके बेटे का लहू था
लहू से लतपथ अपने बेटे को
जब उसके मां-बाप ने उठाया होगा 
धरती फट गई होगी
आस्मां ने भी शोक जताया होगा


बस पल भर का ही तो पल बदला है 
खुशनुमा मंजर  शोक में बदला है
कोई ड्राइवर तो कोई स्कूल पर
इल्ज़ाम लगा रहा है
पर सच कुछ ओर ही
अपने जाल बना रहा है
कोई तो है जो मंदिर में रह कर 
अपने पाप कमा रहा है
वो ड्राइवर भी तो
किसी का पिताह रहा होगा 
इतनी हेवानियत से फिर कैसे
उसने बच्चे का गला रेंदा होगा 
इन सब के बीच बस एक सच मिला है
वो घर
जहां उस बच्चे की किलकारियां गूंजती थी 
आज सूना पड़ा है..! 
 

 

AP YOGESH rathore

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