यू.जी.सी. को नए चेयरमैन का इंतजार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Dec, 2017 03:59 AM

ugc awaiting new chairman

यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यू.जी.सी.) के चेयरमैन वेद प्रकाश के सेवानिवृत्त होने के 9 महीने बाद भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एच.आर.डी.) उनके उत्तराधिकारी को नियुक्त करने में असमर्थ रहा है। वास्तव में सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय ने अब उस खोज एवं...

यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यू.जी.सी.) के चेयरमैन वेद प्रकाश के सेवानिवृत्त होने के 9 महीने बाद भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एच.आर.डी.) उनके उत्तराधिकारी को नियुक्त करने में असमर्थ रहा है। 

वास्तव में सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय ने अब उस खोज एवं चयन (एस.सी.एस.) कमेटी को ही रद्द कर दिया है जिसे इस साल के शुरू में गठित किया गया था। इसे चेयरमैन पद के लिए योग्य नाम सुझाने के लिए गठित किया गया लेकिन बताया जा रहा है कि समिति यू.जी.सी. चेयरमैन पद के लिए कोई ‘उपयुक्त’ नाम बताने में असफल रही है। इस साल अप्रैल में वेद प्रकाश की सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद मंत्रालय ने समिति की स्थापना की थी जिसने जून में 4 नामों को चुना था और अंतिम मंजूरी के लिए उन्हें मंत्रालय को भेज दिया गया था पर पूरा मामला मंत्रालय में ठंडे बस्ते में चला गया। 

आयोग के सदस्यों में से एक वी.एस. चौहान तब से कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर कार्यभार संभाल रहे हैं। इस बीच एच.आर.डी. मंत्रालय ने उन्हें सेवा विस्तार भी प्रदान कर दिया था लेकिन चौहान, जो यू.जी.सी. के सदस्य के रूप में अपनी दूसरी अवधि की सेवाएं दे रहे हैं, इस महीने के अंत तक रिटायर्ड होने जा रहे हैं। इसका मतलब यह है कि अगर सरकार 31 दिसम्बर से पहले एक नियमित चेयरमैन को नियुक्त नहीं करती है तो यू.जी.सी. एक बार फिर से ‘बेसहारा’ हो जाएगी। 

शंघाई की तरफ बढ़ते कदम: इस साल (पाकिस्तान के साथ) शंघाई को-ऑप्रेशन आर्गेनाइजेशन (एस.सी.ओ.) में भारत की सदस्यता को औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान कर दी गई। पूर्ण सदस्य बनने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 30 नवम्बर और 1 दिसम्बर को सोची, रूस में एस.सी.ओ. प्रमुखों की परिषद की 16वीं बैठक में भाग लिया। अब 2 भारतीय विदेश सेवा (आई.एफ.एस.) अधिकारी, 2005 बैच के आनंद प्रकाश और 2012 बैच के कृष्ण के. को 3 साल के लिए एस.सी.ओ. सचिवालय बीजिंग में नियुक्त किया गया है। वहां पर प्रकाश सलाहकार (प्रथम सचिव / परामर्शदाता स्तर) होंगे, वहीं कृष्ण के. को अटैशी (द्वितीय सचिव स्तर) के रूप में नियुक्त किया गया है। 

लेकिन एस.सी.ओ. में भारतीय भागीदारी जितनी सरल दिखती है उतनी सरल नहीं है। भारत के साथ-साथ पाकिस्तान को आस्ताना शिखर सम्मेलन में एक पूर्ण सदस्य के रूप में स्वीकार किया गया था और उसने भी एस.सी.ओ. प्रमुखों की परिषद की 16वीं बैठक में भाग लिया। इसके अलावा चीन शंघाई सहयोग संगठन का प्रमुख चालक है। एस.सी.ओ. में पाकिस्तान की मौजूदगी और चीन का प्रभुत्व संगठन में भारत को एक सहायक की भूमिका के लिए सीमित कर देता है। ऐसे में एस.सी.ओ. में सक्रियता बढ़ाने के लिए मोदी सरकार को हर कदम ध्यान से आगे बढ़ाना होगा और एक बेहद महीन कूटनीतिक लाइन पर चलना होगा। 

2 सांडों की लड़ाई में फंस गए 2 बाबू: जब नेता लड़ाई करते हैं, तो अक्सर यह होता है कि क्रॉस फायर में बाबू शिकार बन जाते हैं। तृणमूल नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ अपने विवाद के बाद भाजपा में चले जाने वाले अब मुकुल रॉय, अपनी पूर्व सर्वेसर्वा और राजनीतिक  आका पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। अब जबकि रॉय मुख्य रूप से तृणमूल के सांसद और ममता के भतीजे अभिषेक को निशाना बना रहे हैं, तो उनकी प्रतिक्रिया का सामना पश्चिम बंगाल सरकार के 2 वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारियों को करना पड़ रहा है। 

रॉय ने हाल ही में गृह सचिव अत्री भट्टाचार्य और एम.एस.एम.ई. विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव सिन्हा पर झूठ बोलने और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाते हुए जुबानी गोलीबारी कर डाली। यह एक राजनीतिक लड़ाई हो सकती है लेकिन जानकारों को डर है कि क्रॉस फायर में फंसे इन 2 बाबुओं को काफी तेज आंच का सामना करना पड़ सकता है।-दिलीप चेरियन

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