Edited By ,Updated: 04 Jan, 2016 10:25 AM
सम्पाद्यात्मानमन्विच्छेत् सहायवान्।
शासक को स्वयं योग्य बनकर योग्य प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए।
सम्पाद्यात्मानमन्विच्छेत् सहायवान्।
शासक को स्वयं योग्य बनकर योग्य प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए। जो राजा स्वयं को सर्वगुण संपन्न बनाने का प्रयत्न करता है, वह बहुत शीघ्र योग्य सहायकों को एकत्र करके राज्य का संचालन करने में समर्थ हो जाता है।
यदि वह ऐसा न करे तो चाटुकार कर्मचारी यथाशीघ्र ऐसे राजा को सत्ताच्युत कर देते हैं।