मनु स्मृति: जिस घर में न हो ये सामान, वहां न जाएं मेहमान बनकर

Edited By ,Updated: 18 May, 2016 02:50 PM

manu smriti

भारत में मेहमान को भगवान का रूप मानकर उनका आदर-सत्कार करने की पंरपरा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है। मनु स्मृति में मेहमानों के

भारत में मेहमान को भगवान का रूप मानकर उनका आदर-सत्कार करने की पंरपरा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है। मनु स्मृति में मेहमानों के सम्बद्ध में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। इसी संदर्भ में एक श्लोक के अनुसार

आसनाशनशय्याभिरद्भिर्मूलफलेन वा।

नास्य कश्चिद्वसेद्गेहे शक्तितोनर्चितोअतिथिः।।

अर्थात जिस घर में बैठने के लिए आसन, भूख शांत करने के लिए आहार, विश्राम करने के लिए खाट और प्यास बुझाने के लिए पानी आदि चीजें न हो ऐसे घर में मेहमान बनकर नहीं जाना चाहिए।

आसन- जहां मेहमान बनकर जा रहे हैं वहां बैठने के लिए उपयुक्त स्थान होना चाहिए जैसे कुर्सी, सोफा, पलंग अथवा चटाई। अगर यह चीजें उस घर में न हो तो वहां न जाएं क्योंकि इससे उस व्यक्ति के मन में हीन भावना घर कर सकती है।

 

भोजन- शास्त्रों में कहा गया है घर आए मेहमान को अपनी सामर्थ्य के अनुसार जल-पान करवाना चाहिए। जो व्यक्ति भोजन करवाने में असमर्थ है उसके घर में न जाएं क्योंकि उसे आपकी सेवा करने के लिए कहीं से उधार मांगना पड़ सकता है।

 

खाट- जिस व्यक्ति के घर में खाट यानि बैड न हो अथवा मेहमानों को सुलाने की उचित व्यवस्था न हो मनु स्मृति के अनुसार वहां नहीं ठहरना चाहिए।

 

पानी- प्राचीनकाल से लेकर अब तक घर आए मेहमान को सबसे पहले पानी दिया जाता है क्योंकि जब व्यक्ति कहीं बाहर से आता है तो वो प्यासा होता है। पानी पीला कर ही सर्वप्रथम उसका स्वागत-सत्कार किया जाता है उस के बाद उसकी अन्य तरीको से सामर्थ्य के अनुसार सेवा की जाती है लेकिन जिस घर में मेहमान की प्यास बुझाने के लिए पानी न हो वहां कभी न जाएं।

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