बृहस्पति ने किया तुला में प्रवेश, ग्रह-नक्षत्रों की रफ्तार करेगी आपको प्रभावित

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Sep, 2017 10:48 AM

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गोचरवश देवगुरु बृहस्पति के तुला राशि में प्रवेश से तुला, कर्क, वृश्चिक तथा मीन राशि के जातकों के लिए प्रतिकूल रहने की संभावना रहती है। गोचर, जन्मकुंड़ली और दशान्तर्ददशा तीनों स्थितियों

गोचरवश देवगुरु बृहस्पति के तुला राशि में प्रवेश से तुला, कर्क, वृश्चिक तथा मीन राशि के जातकों के लिए प्रतिकूल रहने की संभावना रहती है। गोचर, जन्मकुंड़ली और दशान्तर्ददशा तीनों स्थितियों में गुरु के अशुभ प्रभाव में होने पर उसके उपाय करने से जातक को राहत मिलती है। तुला राशिस्थ गुरु का राशियों पर प्रभाव-


मेष : सप्तम गुरु के प्रभाव से उद्योग व्यापार में सफलता, भाग्योदय, धन लाभ होगा।


वृष : छठे शत्रु भाव से गुरु के भ्रमण के कारण रोग एवं गुप्त शत्रुआें से सावधान रहें। खर्च में बढ़ौतरी तथा निकट बन्धु-बान्धवों से वृथा तकरार से तनाव पैदा हो सकता है।


मिथुन : पंचमस्थ गुरु के कारण भाग्योन्नति, धन लाभ, भूमि-वाहन आदि सुखों की प्राप्ति के योग बनेंगे। 


कर्क : चतुर्थस्थ बृहस्पति स्थान परिवर्तन, मानसिक उद्वेग, चित्त की अशांति, व्यवसाय में अस्थिरता तथा कुटुिम्बयों द्वारा यातना दिलाता है।  भाग्योन्नति में अवरोध एवं धन के दुरुपयोग से मन अशांत रहेगा। चोट आदि का भय, खर्चों में वृद्धि के योग हैं। 

 
सिंह: तृतीयस्थ गुरु के प्रभाव से स्थान परिवर्तन, स्वजनों से पीड़ा, धन खर्च, कार्यों में विघ्र आदि योग बनेंगे।


कन्या : गोचरीय गुरु के शुभ प्रभाव में आने से धर्म में प्रवृत्ति, धन लाभ व उन्नति के अवसर मिलेंगे। शत्रु परास्त होंगे।


तुला : गुरु के जन्म राशि में आने से धनहानि, स्त्री, सन्तान, बन्धु वर्ग को पीड़ा रहेगी। 


वृश्चिक : वाराही संहिता के अनुसार बारहवें बृहस्पति के कारण शारीरिक दुर्बलता की शिकायत तथा कठोर परिश्रम से अल्प धन की प्राप्ति होगी, खर्च बढ़ेगा।


धनु: गुरु के ग्यारहवें लाभ भाव में आने से पदोन्नति, धन लाभ, उत्साह में वृद्धि, मांगलिक कार्य होंगे।


मकर: राज्य स्थान में गुरु की शुभ स्थिति से धन धान्य का लाभ, सम्मान, मांगलिक कार्य, प्रभाव में वृद्धि परन्तु तनाव और चिंताआें से मन में अशान्ति रहेगी, स्वास्थ्य खराब हो सकता है। 


कुंभ : नवम भाव पर गुरु के गुजरने से भाग्योन्नति होगी। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी।


मीन: आठवें गुरु के कारण रोग, भय, स्वजनों से विवाद, कलह, विघ्र-बाधा एवं धन अपव्यय का योग बनेगा।

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