10 पीढ़ियों का उद्धार करेगा रविवार, नरक से बचना है तो न करें ये काम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Sep, 2017 02:07 PM

papankusha ekadashi if you want to avoid hell then do not do it

पापों पर अंकुश लगाने वाली पापकुंशा एकादशी का व्रत 1 अक्तूबर को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को मनाया जाएगा। यह एकादशी मानव के मन में बसे पापरूपी हाथी को बांधने का काम करती है। व्रत करने वाले को प्रात: स्नान आदि क्रियाओं से निवृत होकर धूप दीप नैवेद्य, फल...

पापों पर अंकुश लगाने वाली पापकुंशा एकादशी का व्रत 1 अक्तूबर को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को मनाया जाएगा। यह एकादशी मानव के मन में बसे पापरूपी हाथी को बांधने का काम करती है। व्रत करने वाले को प्रात: स्नान आदि क्रियाओं से निवृत होकर धूप दीप नैवेद्य, फल और फूलों से विधिवत भगवान विष्णु जी का और तुलसी मंजरियों से भगवान शालिग्राम जी का पूजन करते हुए रात को श्रीहरिनाम संकीर्तन करना चाहिेए। रात को भगवान विष्णु जी के मंदिर में जाकर दीपक जलाना चाहिए। यह एकादशी रविवार को है इसलिए पीपल और तुलसी को जल चढ़ाना शास्त्रानुसार वर्जित है परंतु जो वैष्णव नियम से तुलसी का सिंचन करते हैं वह तुलसी पूजन कर सकते हैं। जो भक्त एकादशी से एकादशी तक कार्तिक मास का स्नान आरम्भ करते हैं वह भी पहली अक्तूबर से ही करेंगे, इसी दिन से चातुर्मास व्रत के नियम का पालन करने वालों के तीन मास का संकल्प  भी पूरा होता है तथा चौथे मास का व्रत संकल्प शुरु होगा, जो 31 अक्तूबर को आने वाली देव प्रबोधिनी एकादशी पर सम्पन्न होगा। 


कौन से कर्म हैं पुण्यकारी
वैसे तो इस दिन कोई भी जनहित्त में कार्य करने का लाभ मिलता है परंतु शास्त्रानुसार एकादशी वाले दिन मंदिर धर्मशाला, गऊशाला, तालाब, प्याऊ, कुएं बाग आदि का निर्माण कार्य करवाने का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त तथा पुण्य फलदायक है। प्रात:सूर्योदय से पूर्व केवल स्नान करने वाला भी पापों से मुक्ति पा सकता है। 


क्या करें दान 
वैसे तो किसी भी वस्तु का दान करना व्रत में अति उत्तम कर्म है परंतु इस दिन ब्राह्मणों को सुन्दर वस्त्र, सोना, तिल, भूमि, अन्न, जल, जूते, छाता, गाय और भूमि आदि का दान करने का महात्मय है।  शास्त्रानुसार किसी भी वस्तु का दान करते समय  यथासम्भव दक्षिणा देना भी अति आवश्यक है और मन में कभी भी देने का गर्व भी मन में नहीं करना चाहिए।


क्या है पुण्य फल
व्रत के प्रभाव से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं बहुत जल्दी पूर्ण हो जाती हैं तथा उसे धन, वैभव, सुन्दर स्त्री, निरोगी काया, प्राप्त होती है तथा व्रत करने वाला जहां स्वयं पुण्य प्राप्त करता है वहीं अपने मातृ पक्ष, पितृ पक्ष और स्त्री पक्ष की 10-10 पीढिय़ों का उद्धार भी करता है। हवन, यज्ञ, जप, तप, ध्यान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वह एकमात्र इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मिलता है तथा जीव को यम यातना से भी मुक्ति मिल जाती है। इस व्रत के पुण्य से जीव के शरीर में पाप वास ही नहीं कर सकते तथा उसे हजारों अश्वमेध यज्ञों के बराबर एकादशी व्रत का पुण्य फल मिलता है। 


निंदक को मिलता है नरक
जो विष्णु भक्त भगवान शिव व प्रभु के भक्त की निंदा, चुगली करता है उसे निश्चय ही रौरव नरक में गिरना पड़ता है तथा 14 इन्द्रों की आयु पर्यन्त उसे उस नरक की पीड़ा सहनी पड़ती है, इसलिए जहां तक सम्भव हो किसी की निंदा न करने में ही जीव की भलाई है। भला कार्य यदि नहीं कर सकते तो बुरे से भी बचना चाहिए। 

 
क्या कहते हैं विद्वान
अमित चड्डा का कहना है कि भगवान को प्रत्येक मास में आने वाली एकादशी तिथि सबसे अधिक प्रिय है इसलिए इस दिन व्रत करने का पुण्यफल भी सबसे अधिक होता है। इस एकादशी से ही भगवान को प्रिय कार्तिक यानि दामोदर मास का शुभारम्भ भी हो रहा है, इस कारण इस एकादशी का पुण्यफल हजारों गुणा अधिक है। जो भक्त किसी कारण वश व्रत नहीं भी कर पाते वह रात को दीपदान और प्रभु नाम संकीर्तन करके प्रभु की कृपा के पात्र बन सकते हैं। एकादशी को अन्न का त्याग करना अति उत्तम कर्म है क्योंकि एकादशी को सभी विकार अन्न में विराजमान होते हैं। व्रत का पारण 2 अक्तूबर को प्रात: 6.26 से 9.29 के बीच के समय में करना होगा। 

वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!