अनोखी प्रकिया से 15 साल बाद बनी मां, जानकर रह जाएंगे दंग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 May, 2017 05:42 PM

doctor pioneering  three parent  babies

34 वर्षीय एक महिला अनोखी प्रक्रिया से मां बनी है।15 साल से मां बनने की तमाम कोशिशों में नाकाम रहने के बाद  इस महिला ने यूक्रेन के एक शीर्ष चिकित्सक की मदद से अभूतपूर्व लेकिन नैतिक आधार पर विवादित ‘‘दो मां, एक पिता’’ प्रक्रिया के जरिए संतान को जन्म...

लंदनः 34 वर्षीय एक महिला अनोखी प्रक्रिया से मां बनी है।15 साल से मां बनने की तमाम कोशिशों में नाकाम रहने के बाद  इस महिला ने यूक्रेन के एक शीर्ष चिकित्सक की मदद से अभूतपूर्व लेकिन नैतिक आधार पर विवादित ‘‘दो मां, एक पिता’’ प्रक्रिया के जरिए संतान को जन्म दिया। वह ‘प्रोन्यूक्लियर ट्रांसफर’ नामक प्रक्रिया की मदद से कीव के एक निजी क्लीनिक में जनवरी में एक लड़के की मां बनीं। 

इस प्रक्रिया के तहत दंपति के जीन में डोनर का अंडाणु रिपीट निषेचित किया जाता है। इससे पहले इस प्रक्रिया का इस्तेमाल गंभीर आनुवांशिक बीमारियों का उपचार करने के लिए किया जा चुका है लेकिन चिकित्सक वालेरिय जुकिन पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने इस प्रक्रिया से दो अलग अलग ऐसे दंपतियों को मां-पिता बनने में मदद की जो बच्चों को जन्म नहीं दे सकते थे। 60 वर्षीय जुकिन ने बताया इस प्रक्रिया में अंतर यह है कि महिला के अंडाणु को पहले उसके साथी के शुक्राणु के साथ निषेचित किया गया जाता है। इसके बाद इस बीज को डोनर के अंडाणु में स्थानांतरित किया जाता है जो स्वयं गर्भधारण में सक्षम नहीं है।  इस तरह अंडाणु लगभग पूरी तरह दंपति के जीन से बनता है। इसमें महिला डोनर के डीएनए का भी कुछ अंश (करीब 0.15 प्रतिशत) होता है।

हालांकि इस प्रक्रिया को लेकर कुछ धर्मगुरूओं का तर्क है कि यह तकनीक नैतिक नियमों का उल्लंघन करती है। यूक्रेन की ‘आॅर्थोडॉक्स चर्च’ के पादरी फोएडोसिय ने कहा, ‘‘एक बच्चे की एक ही मां और एक ही पिता हो सकता है। किसी तीसरे इंसान की मौजूदगी-खासकर तीसरे व्यक्ति का डीएनए- नैतिक आधार पर अस्वीकार्य है। इससे महिला एवं पुरूष के बीच विवाह की पवित्रता भंग होती है।’’ रोमन कैथोलिक चर्च ने भी कदम की निंदा करते हुए कहा है कि इससे मानव भ्रूण का विनाश होगा। कुछ वैज्ञानिकों ने भी इसे लेकर आशंका जताई है। कीव के इंस्टीट्यूट आॅफ पीडीएट्रिक्स, आब्टेट्रिक्स एंड गाइनकॉलिजी के प्रोफेसर ने एएफपी से कहा, ‘‘हम इसके व्यापक इस्तेमाल की अभी बात नहीं कर सकते। हमें पहले नवजात की उम्र कम से कम तीन वर्ष होने तक उसके स्वास्थ्य पर नजर रखनी होगी।’


 

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