Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jun, 2017 04:29 PM
पशु बिक्री पर बैन लेकर देशभर में फिर से विवाद और बहस शुरू हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा पशुओं के बध को रोकने के लिए इनकी खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने पर विचार कर रही है।
नई दिल्लीः पशु बिक्री पर बैन लेकर देशभर में फिर से विवाद और बहस शुरू हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा पशुओं के बध को रोकने के लिए इनकी खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने पर विचार कर रही है। सरकार के इस फैसले के बाद कई जगहों पर लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरकार के इस नए नियम को लागू करवाने के पीछे असल हाथ किसका है। इसके पीछे है गौरी मौलेखी नाम की महिला जो एक्टिविस्ट पीपुल्स फॉर एनिमल्स नाम की एक संस्था से जुड़ी है।
गौरी ने दायर की याचिका
गौरी मौलेखी केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी की सलाहकार भी हैं। इन्होंने 2014 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डालकर कहा था कि देश में जानवरों की तस्करी हो रही है और इन्हें मंडियों से गैरकानूनी तरीके से खरीद कर सीमा पार भेजा जा रहा है। गौरी की इसी याचिका के बाद केन्द्र सरकार ने पिछले सप्ताह अधिसूचना जारी कर बाजार से वध के लिए जानवरों की खरीद पर रोक लगा दी।
कानून में नहीं लिखा, आप जानवर नहीं काट सकते
एक अंग्रेजी वैबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस नए कानून का मकसद लोगों के बीफ या मांस खाने-पीने की आदतों पर रोक लगाना नहीं है, बल्कि जानवरों पर हो रहे अत्याचारों को रोकना है। गौरी का कहना है कि वे मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगी। वहीं गोरी ने नए कानून के तहत जानवरों का वध बंद हो जाएगा बात को सिरे से नकारते हुए कहा कि अगर आप कानून पढ़ें तो इसमें कहीं नहीं लिखा कि आप जानवर काट नहीं सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कई लोग मंडियों से पशु खरीदते हैं फिर उनकी तस्करी होती है जबकि नए कानून के मुताबिक लोग मंडियों से अब सिर्फ खेती के लिए मवेशी खरीद सकते हैं और अगर किसी के जानवर का मांस खाना है तो उसे सीधा किसान से या मवेशी के मालिक से इसे खरीदना होगा। गौरी ने कहा कि देश की पशु मंडियां जानवरों के लिए मौत की मंडियां बन गई हैं। जानवरों को अवैध तरीके से खरीदा जाता है फिर उसे दूसरे देशों में बेचा जाता है। जोकि गलत है।