Edited By ,Updated: 01 Mar, 2015 03:59 AM
गत वर्ष सत्तारूढ़ हुई नरेंद्र मोदी सरकार का वर्ष 2014-15 का अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेतली ने 10 जुलाई 2014 को कहा था
गत वर्ष सत्तारूढ़ हुई नरेंद्र मोदी सरकार का वर्ष 2014-15 का अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेतली ने 10 जुलाई 2014 को कहा था कि ‘‘पहले बजट में ही सब कुछ ठीक करना संभव नहीं है परंतु 3-4 वर्ष में विकास दर 7-8 प्रतिशत तक अवश्य पहुंच जाएगी।’’
और अब 28 फरवरी 2015 को मोदी सरकार का 2015-16 का पहला सम्पूर्ण बजट पेश करते हुए उन्होंने मौजूदा आर्थिक स्थिति पर संतोष जताते हुए जी.डी.पी. 7.4 प्रतिशत रहने की आशा व्यक्त की और कहा कि भारत के ‘उड़ान भरने’ का समय आ गया है। इस वर्ष के आम बजट से मुख्यत: मध्यम वर्ग को आयकर छूट में वृद्धि, होम लोन पर ब्याज में राहत आदि की बहुत आशा थी लेकिन वित्त मंत्री ने उन्हें निराश ही किया।
इसके अनुसार व्यक्तिगत आय में पहले की भांति 2.5 लाख रुपए वार्षिक तक की छूट ही मिलेगी जबकि होम लोन पर ब्याज में कोई राहत नहीं दी गई अलबत्ता 22 मदों पर एक्साइज ड्यूटी में कमी की गई है जिस कारण 1000 रुपए से अधिक मूल्य के जूते तथा विदेशों से आने वाले कलपुर्जे ही सस्ते होंगे।
दूसरी ओर सर्विस टैक्स 12.36 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिए जाने से लगभग सभी चीजें महंगी हो जाएंगी। इनमें रैस्टोरैंट में भोजन करना, पार्लर में जाना, क्रैडिट कार्ड व डैबिट कार्ड से भुगतान, अस्पताल में चिकित्सा, कोरियर, आर्कीटैक्ट की सेवाएं लेना, शादी का मंडप बनवाना, ट्रैवल एजैंट के माध्यम से हवाई टिकट बुक करवाना आदि शामिल हैं।
जहां वित्त मंत्री ने मध्यम वर्ग की आशाओं पर पानी फेर दिया वहीं उन्होंने कृषि आय में कमी, राजस्व घाटा, बुनियादी ढांचे में निवेश की आवश्यकता, निर्माण में पिछड़ापन व सरकारी घाटा रोकने के प्रस्ताव पेश किए हैं।
‘भ्रष्टाचार राज’ को पीछे छोड़ आने का दावा करते हुए उन्होंने सट्टेबाजी रोकने व विदेशों में काले धन पर रोक लगाने के लिए नया कानून बनाने की घोषणा की जिसके अंतर्गत पकड़े जाने पर 10 साल तक कैद और छुपाई गई राशि के 300 गुणा जुर्माने का प्रावधान होगा। सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार रोकने के लिए भी नया कानून बनाया जाएगा।
श्री जेतली ने जहां औद्योगिक घरानों के लिए 4 वर्षों में कार्पोरेट टैक्स में कटौती करके 30 प्रतिशत से 25 प्रतिशत करने की घोषणा की वहीं सम्पत्ति कर समाप्त करके 1 करोड़ रुपए से अधिक सम्पत्ति वाले लोगों पर ‘सुपर रिच टैक्स’ के अंतर्गत 2 प्रतिशत सरचार्ज लगाने की घोषणा की है।
सोने के माध्यम से बचत को बढ़ावा देने के लिए ‘अशोक चक्र’ वाले सोने के सिक्के जारी करने और लोगों को अपना सोना बैंकों में जमा करवाने के लिए प्रोत्साहित करने का भी प्रस्ताव है जिस पर समुचित ब्याज दिया जाएगा।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड में और 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान, 2022 तक हर परिवार को मकान और परिवार के एक सदस्य को रोजगार, जीवन की गुणवत्ता में सुधार, सबसिडी को बंद करने की बजाय बेहतर तरीके से लागू करने, पंजाब, हिमाचल व आंध्र में ‘एम्स’ खोलने, जम्मू और आंध्र में आई.आई.एम., अरुणाचल में फिल्म इंस्टीच्यूट और अमृतसर तथा वाराणसी सहित देश में 25 विश्व धरोहर स्थल बनाने का भी प्रस्ताव है।
उन्होंने 3 वर्षों में वित्तीय घाटा कम करके 3 प्रतिशत तक लाने, अगले वर्ष सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने, सबसिडी की ‘लीकेज’ रोकने, देश की जनता के लिए एक जैसी सुरक्षा प्रणाली लागू करने के अलावा अनेक योजनाओं की घोषणा की।
इनमें मनरेगा के लिए 34,699 करोड़ रुपए देने, जन-धन योजना के अतिरिक्त गरीबों को सिर्फ 12 रुपए वार्षिक के प्रीमियम पर 2 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा देने, अटल पैंशन योजना, प्रधानमंत्री बीमा योजना के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को बीमा सुरक्षा प्रदान करने के प्रस्ताव शामिल हैं।
वित्त मंत्री ने अल्पसंख्यक युवाओं के लिए 3738 करोड़ रुपए की ‘नई मंजिल’ योजना, रेल व सड़कों के लिए कर मुक्त इंफ्रास्ट्रचर बांड जारी करने, लघु सिंचाई व सिंचाई योजनाओं के लिए क्रमश: 53 करोड़ रुपए, ग्रामीण ऋण योजना के लिए 1500 करोड़ रुपए, इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 70000 करोड़ रुपए और रेलवे के लिए 10,000 करोड़ रुपए देने की घोषणा की।
अलबत्ता उन्होंने सरकारी काम के सरलीकरण की घोषणा करते हुए कहा कि उन्होंने दिखावे की घोषणाएं नहीं की हैं क्योंकि छोटे-छोटे कदमों से ही बड़े कामों को सम्पन्न करने की शुरूआत होती है।
कुल मिलाकर इस बजट में किसी बड़े सुधार व राहतों की झलक नजर नहीं आती और वे अच्छे दिन अभी दूर हैं जिनके सपने दिखा कर भाजपा सत्ता में आई। इसका संकेत तो इसी से मिल गया कि आम बजट की घोषणा के दिन ही शाम को पैट्रोल व डीजल की कीमतों में 3 रुपए प्रति लीटर से अधिक वृद्धि कर दी गई।
बकौल शायर : बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो इक कतरा खून निकला।